________________ चरित्रं प्रत्येक नंदनः // 6 // राजन्नैवं करिष्यामि / प्रपद्येति निजं, गृहं // समागत्य जितेंाग्रे / स्थित्वा / / तं यदमस्मरत् // 7 // प्राप्तः स्मरणमात्रेण / प्राह खामिन् समादिश // उक्तं गुणधरेणापि / भूलुजे, देहि नंदनं // // स्वामिन्नेवं करिष्यामि / परं राज्ञा निरंतरं // अर्चा जिनेशितुः कार्या / येन पुष्कर्म हीयते // नए // इत्युक्त्वा स्वाश्रयं यदो-ऽगबद्गुणधरेण च // राजे निवेदितं सर्व / राजापि कृतवांस्तथा // ए // यदानावतस्तूर्ण / पापकर्मदयेण च // भूप: तेस्तनयो जज्ञे / रूपवान् जातरूपवत् // 1 // चक्रे जन्मोत्सवोराशा। परमाश्चर्यकारणं // ततो जिनधर इति / नाम पुत्रस्य निर्ममे // ए५ // तस्मै बाल्येऽप्यदाद्राज्यं / स्वयं वैराग्यरंगितः // उद्योतनगुरोः पार्श्वे / व्रतं निवृतिकृखलौ // ए३ // तप्यमानस्तपस्तीनं / क्षांतिं कुर्वन्ननुत्तरां // संप्राप्तकेवलज्ञानो / वत्रे मुक्तिश्रिया नृपः // ए४ // गुणधरगुणचंडी नेत्रसंतोषचंयौ / जगति विजयमानौ जूलुजा पूज्यमानौ // विजितमदनमानौ प्राइकैः शस्यमानौ। विनयनयसमेतौ निन्यतुः कालमेतौ // ए५ // कुर्वाणौ जिनमंदिरेषु. विधिवत्पूजां त्रिकालं सदा / श्रीमत्पुण्यलतातरून् गुणगुरून् संसेवमानौ गुरुन् // शुद्धभावकधर्मकर्मनिरतौ सम्यक्त्वरत्ने | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust