________________ प्रये // // नृपपुत्रः समुत्थाय / तृतीये प्रहरे स्थितः // दृष्ट्वा तो पुत्रिका हृष्ट-श्चेतसेंति व्य जावयत् // 45 // पनप्रोज्कितबलीव / वसनेन विवर्जिता // जाति नैषेति सा तेन। वसनं परिधापिता // 46 // चतुर्थे प्रहरे जाते / पुरोहितसुतः स्थितः // सालंकारां सुरूपां च / 137 / सवस्त्रां तां व्यलोकत // 4 // मनोहरापि नादेया। केसरेण विवर्जिता // एषा राजीवरा जीव / जीवेन रहिता सती // 4 // त्रैलोक्याश्चर्यमा / यद्येषापि च जीव्यते // तदा ह. रति चेतांसि / देवानां किं पुनर्नृणां // भए ॥एवं विमृश्य सन्मंत्रं / मंत्रयित्वा स मांत्रिका ॥जीवंतीमकरोदेतां / तत्कणं हरिणेक्षणां // 60 // समुभते दिवानाथे / चत्वारश्चलितास्ततः ॥चचाल कामिनी सापि / तावत्तदनुगामिनी // 51 // सूत्रधारसुतः प्राह / मयेयं घटिता यतः // अतोऽसौ मामकीनैव / मम मंदिरमेष्यति // 55 // स्वर्णकारसुतोऽप्यूचे। विभूषणविभूषिता // एषा मया कृता तस्मा-वित्री मम गेहिनी // 53 // तावद्भपसुतोऽप्याह / मयेयं परिधापिता // उकूलानि स्वकीयानि / तदसौ मम वलना // 55 // पुसेधःपुत्र थाचख्यो / साध्यते किमजीवया // जीवंतीयं मया चके / ममैवैषा ततः प्रिया // 55 // तन्नों % 3D PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust