________________ प्रत्या / अथो आरदकैरेतत् / सर्व राज्ञे निवेदितं // राजापि सहसा क्रुद्धः। समस्तांस्तानदोऽवदत्, // 34 // मदीयेन प्रसादेन / जात उन्मत्तवत्सुतः॥ तच्चौरपदपात्येष / पुरान्निर्धाव्यतामिति चरित्रं // 35 // सोऽपि ज्ञात्वा नृपादेशं / तत्कणं चलितस्ततः // अन्वगछत्कुमारं तं। मित्रत्रयम | कृत्रिमं / / 36 // खकलाकौशलेनैव / पूज्यमाना महीतले // अर्जयंतः सुवर्णादि। स्थिता निश्यन्यदा वने // 37 // अस्मिन् बिजीषणेऽरण्यें / व्याघ्रसिंहादिसंकुले // ये सुप्तास्ते विगुता हि / श्रेयो जागरणं ततः // 30 // चत्वारः स्मो वयं रात्रे-श्चत्वारः प्रहरा अपि // एकैकं प्रहरं याव-जागत्वैकक एव तत् // 35 // एवं विमृश्य सर्वेऽपि / सुषुपुः सुखनिद्रया // सूत्रधारसुतः स्मैको / जागरूकोऽवतिष्टते // 40 // तेन तक्षणिकत्वेन / विलोक्येतस्ततो वनं // दृष्ट्वा काष्टं विशिष्टांगी। घटिता तस्य पुत्रिका // 41 // अथ यामे द्वितीयेऽस्मिन् / सूत्र धारसुतोऽखपत् // स्वर्णकारसुतस्तस्थौ / जाग्रदुग्रकलानिधिः // 45 // सोऽपि तां पुत्रिका इ. ट्रा / हृष्टचित्तो व्यचिंतयत् // अलंकारैर्विना नैषा / जोति जव्यापि काव्यवत् // 43 // घट॥ यित्वा त्वलंकारान् / सर्वांगेषु विष्य तो // स्वावधि पूरयित्वा स / निद्रया मुद्रितोऽनवत् | A Jun Gun Aaradhak is