________________ चरित्र प्रत्येक मारोदीरद्य यास्यामि / तत्स्थाने प्रेतकानने // आह सा खवहृत्स त्वं / मम पुत्रोऽसि नो // किमु // 3 // श्तो मातनं वक्तव्य-मित्युक्त्वा दृढसाहसः // राजाद्यैर्वार्यमाणोऽपि / वने गुपंधरोऽगमत् // 24 // निशायां दारुणं रूपं / कृत्वा यदः समाययौ // पृष्टः कथानकं तेन / धैर्याधारः स उक्तवान् // 25 // धारावासपुराधीशो। धराधीशानिधो नृपः॥आसीत्तस्य सुतो नाम्ना / सुतेजास्तेजना निधिः // 26 // अकृत्रिमाणि मित्राणि / तस्याभूवन्निति त्रयः // सूत्रधारस्वर्णकार-पुरोहिततनूरुहाः // // कुलोचितकलास्वेते। चत्वारोऽपि विचक्षणाः॥ क्रीमत्येकत्र तिष्टंति / दर्शयति खकौशलं // 27 // अत्यन्यायकरश्चौर / पारदैर्वध्यभूमिकां // नीयमानः कुमारस्य / प्रपेदे शरणं रयात् // श्ए // शरणागतवज्रपंजरः / कथयामास कुमार उध्धुरः // किमनेन कृतं हि दुःकृतं / यदयं बाग श्वेति बध्यते // 30 // रदकैरथो कचे / कुमार नृपमंदिरे // अनेन विहितं चौर्य / क्रूरमेतं विमुंच तत् // 31 // विहस्योचे कुमारेण / साधुः सत्कर्मगर्जितः // शरणं न विशत्येव / यद्यसाधुन रयते // 35 // तचरणागतपालन-मेव कथं जायते महापुंसां // तबक्रोऽपि न शक्तो / लातुं मम पृष्टगतमेतं // 33 // || - PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust