________________ चरित्रं प्रोजनो धार्मिकः // 20 // अग्निशर्मा निधो राज-मान्यः पूर्वपुरोहितः // सजासमक्षमाच ख्यौ / नास्तिको नूपतेः पुरः ॥१॥राजन् सर्वधर्मादि / नास्ति किंचित्खपुष्पवत् ॥प्र. माणपंचकेनापि / येनैतन्न प्रमीयते ॥२॥राज्ञोक्तं किमसंबई / नाषसे सुकृतादिकं // अ. नुमानागमाच्यां वा-पत्तेरवगम्यते // 3 // तेनोक्तमप्रत्यदत्वा-प्रतीतिस्तत्र नोंचिता // तर्हि पूर्वजसत्तायां ।युज्यते सा न ते हिंज // 4 // इत्यादिवचनै राजा ।तं तथा निरलोग्यत् // यथा निरुत्तरो जातो / हसितश्च सन्जाजनैः // 5 // कोपातुरः स निर्गत्य / तापसं व्रतमग्रहीत् // मृतस्तीनं तपः कृत्वा / जज्ञे यदो महर्डिकः // 6 // स प्रयुज्यावधिज्ञानमजादीद्वैरिणं नृपं // अकार्षीनगरे मारी / संमुखसितवैरजाक् // 7 // दाहज्वरश्च भूलतुः। शरीरे तेन निर्ममे // निर्ममेण नरेंडेण / गणिता न खवेदना // // परं परां म्रियमाणां / दृष्ट्वा जनपरंपरां // भूपो धूपं समुत्दिप्य / प्रांजलिः सन्नदोऽवदत् // ए॥ देवी वा दानवी वा मे / यो रुष्टोऽस्ति पुरोपरि // स जस्पतु स्फुटीभूय / प्रसन्नीय सांप्रतं // 10 // साधि। क्षेपमयो यद / बाचचद्दे नवांतरं // राज्ञा मधुरवाग्नीरैः / सिक्तः किंचिदशाम सः // 1 // P.P: Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust