________________ 'चरित्रं प्रत्येक स्त्यसौ // इत्येवं संशयापन्नः। कणं तस्थौ सविस्मयः // 30 // तावद्गुणधरो वीक्ष्य / बृहः / / वातरमग्रतः॥ आसिलिंग समागत्य / सहसा स्निग्धमुग्धदृक् // 35 // रोमांचकंचुकः प्रोचे / गुणचं कथं नवान् // श्यती जुवमायातः / कथयस कथां तव // 40 // तेन सर्वोऽपि वृत्तांतो-sतुबकेन प्ररूपितः // सर्वेऽपि विस्मिता जाताः / श्रुत्वा तद्बुद्धिकौशलं ॥४१॥राजा च राजलोकोऽपि / जातरौ तावुनावपि // सर्वेषामनवों / मुक्त्वैकं कुहिनीमनः // // 42 // राज्ञादिष्टं जना जो लो। एषा प्रबन्नतस्करी // नित्वा नाशां च कौँ च / वेश्या निर्वास्यतामितः // 43 // ततो गुणधरो भूपं / विज्ञप्यात्यंतमाग्रहात् // कुहिनी मोचयामास / दीने संतो हि वत्सलाः // 44 // त्राता चेद्गुणचंऽस्य / तन्मे मान्योऽसि सर्वथा // . त्युक्त्वा भूजुजानीतो / निजं गुणधरो गृहं // 45 // सनायामासने दत्वा / निवेश्य जातरावुजौ // ऊचे भूपो महाजाग / गुणचंद्रगुणान् शृणु // 46 // यदेतत्सांप्रतं राज्यं / क्रियते जी व्यते च यत् // तत्सर्वं हि नवज्रातृ-गुणचं प्रसादतः॥४७॥ यतः-अपाहरन्मां विपरीतशिदितो। हयो महावायुवदुगवेगवान् // निन्येऽटवीं खिन्नकरोऽमुचं यदा / स्थितः स Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri.M.S.