________________ पोमा तरवः समे // सितपुष्पमिषाजाता / गलदश्रुजला श्व // ए६ // तेन पृष्टा महारण्ये / जड़े | किमिति रोदिषि // थाह सा वायुवेगोऽयं / विद्याधरनरेश्वरः // ए.॥ मस्त्रियो मयका साकं चरित्रं / क्रीमार्थ मलयाचलं // प्रति प्रस्थाय खिन्नात्मा ।क्षणमत्रावतीर्णवान् // ए॥क्षणमात्रं च सुप्तोऽयं / विश्रामाय मया समं // तावत्कृष्णेन सर्पण / दष्टो दुष्टेन केनचित् // एए // उप| चाराः कृता नैके / मया विषहराः परं // सर्वेऽपि निष्फला जाताः। प्रभातोन्नतमेघवत् // // 10 // अहो सत्पुरुषोऽसि त्वं / यदि जानासि किंचन // तदैतं प्रगुणं कृत्वा ।प्राणनिदां प्रदेहि मे // 1 // पानीयमानीय सरोवरांतरा-प्रदाव्य रत्नं निजमजुतप्रनं // असिंचदंगानि स तस्य सांजसं / विद्याधरस्तत्क्षणमाप चेतनां // 2 // निद्राबेदादिवोत्तस्थौ। किमेतदिति जावयन् // सहर्षा तत्प्रिया सर्व / वृत्तांतं तं न्यवेदयत् // 3 // सोऽपि प्रांजलिराचख्यौ ।जीवितव्यप्रदायिनः // कथं प्रत्युपकाराय / प्रत्यलोऽहं जवामि ते ॥४॥जीमूतस्त्रि. जगंति जीवयति तत्किं किंचनापीहते / किं भानुः प्रतिजासयंश्च जुवनं किंचित्प्रतीत्यसौ // चंद्रश्चंजिकयाखिलं क्षितितलं प्रीणाति मुक्तस्पृहः / प्रायः प्रत्युपकारकारणनिराकांदा नवं // P. Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak, Trust