________________ प्रत्येक चरित्रं वतिदक्षिणा // 5 // ऊचे गुणधरेणाथो / ईषद्धसितपूर्वकं // क्रियते किं जवाक्या-छ। राकः कोऽपि वंचितः // 6 // इति बुट्या तदादाय / रत्नं यत्नेन पालयन् // कियतो वासरांस्तत्रै-वातिवाहितवानसौ // 7 // अयत्नं रत्नलाजेन / परमामोदमेदुरः // तस्यैव वणिजो गेहे / सोऽतिष्टदतिसुष्टुधीः // 7 // कपटं प्रकटं मा मे / कदाचिदिह जायतां // इत्याशकाकुलोऽचाली-देकाक़ी स पुरात्ततः // ए // मार्गे गबन्नरण्यांतः / सोऽशृणोत्करुणस्वरं // हाहा नाथाथ कस्मान्मे / प्रतिवाक्यं ददासि न // ए॥ रे दैव प्राणनाथं मे। हरताहं हृता न किं // अरे हृदय दैवेन / निर्दयेन हृते प्रिये // ए१ // तवाह्लादकरे रेरे। कटिति स्फुटितं न किं // तन्मन्ये दृढमेताह-वजेण घटितं ह्यसि // 55 // युग्मं // अशोकवृद त्व मशोक एतां / बिजय॑निख्यां नियतं मुधैव // जाता यतोऽहं त्वदधःस्थितापि / शोकाकुला दैवहता देताशा // ए३ // अस्ति सत्पुरुषः कोऽपि / परोपकरणोद्यतः // संजीवयति यो दुःस्था-वस्थमेतं मम प्रियं // ए // उत्संगे प्रियमारोप्ये-त्येवमादिविलापिनीं // अनादीकामिनीमेकां / काननांतः कृपापरः // ए५ // षनिः कुलकं // रुदती सुदतीमेतां / दृष्ट्वेव ||