________________ प्रत्येक 63 // सदोषं चेदिदं वेसि / स्फुटं तत्किं न कथ्यते // ध्रियते मौलिवन्मौलौ / किं वहिरतिनावरः // 65 // अथो गुणधरो मौनं / दणं स्थित्वा बलादिव // जाषितोऽजापतास्मानि-रयुक्तं न हि कथ्यते // 6 // प्राणिपीमा नवेधेन / परो येन च पीड्यते // आत्मा च पतति क्वेशे / न तजापति पंमिताः // 66 // तथापि कथ्यते किंचि स्वदत्याग्रहतो, म. या // वहिवद्विद्यते दीप्र-मिदं खस्थानहानिकृत् // 6 // एतस्यैव प्रजावेण / प्राप्तोऽस्मयेतादृशीं दशां // यतो मम पिता पूर्व / कुतश्चिदिदमाप्तवान् // 60 // इदं प्रदीपवद्दीनं / दृष्ट्वा मम पिताजवत् // विमोहितोऽतियत्नेन / स्वपार्श्वे रक्षतिम सः // 6 // एतदागमनाहा-हिनवः प्रपलायितः // चांमालागमनाबुध-श्रोत्रीयब्राह्मणो यथा // 70 // दारिद्यपीमितस्तातः / प्राहिणोन्मां सशंबलं // विदेशाय करे दत्वा / रत्नं विक्रयहेतवे // 1 // अस्थाय यावंदायातः / सह सार्थेन संचरन् // बटव्यांमुत्कटा धाटी / जिवानां तावास्थिता // 7 // तया हता जटाः केचि-इसा अन्यऽथ मानवाः // इदं च रत्नमग्राहि / ब|| ध्वा नीतोऽहमप्यहो // 73 // तर्जनक्षुत्पिपासादि / तंत्रातंत्रतया मया // सोढमेतत्प्रजावे - - P.P.AC.Gunratnasury Jun Gun Aaradhak Trus!