________________ प्रत्येक . रुते वपुः // 30 // तेनोक्तमेवमेतस्य / परं पुरुषसत्तम // औषधान्यननिझत्वा-नाहं मेलयितुं कमः // 31 // अथो गुणधरेणोचे / सांप्रतं चेचिकित्स्यते // तदाद्याप्यस्ति. साध्योऽसौ / प- 1 श्चायास्यत्यसाध्यतां // 35 // तत् श्रुत्वा स्वगृहं प्राप्तः / स गेहिन्येति जाषितः // अद्य त्वं वीक्ष्यसे कस्मा-हिबायवदनबविः // 33 // तेन सर्वोऽपि वृत्तांत-स्तस्या अंग्रे निवेदितः // विमृश्य दणमाख्यायि / प्रियया प्रियया गिरा // 34 // दिनमेकममुं मुंच / मेलयत्यौषधं यथा // पश्चात्पुनरपि देप्यः / कारांतरुपकार्यपि // 35 // अथ तं प्रेषयामास / स्वकीयजनसंगतं // औषधानि समानेतुं / कारागारस्य रक्षकः // 36 // बज्राम सुचिरं गृह्णन् / यानि तान्यौषधानि सः // तावद्यावत्तमिस्रागा-त्तमिस्रकुलसंकुला // 3 // सुप्तावेकरतो यावनिग्या मुजितो जनः // स तावहागुरामुक्त-मृगवत्प्रपलायितः // 30 // अचिरेणापि कालेन / पूरं गुणधरोऽगमत् // जनोऽपीतस्ततः पश्यन् / विलक्षश्च स्वमास्पदं // 3 // पुरं सुरपुरं प्राप / स सुरालयभूषितं // अस्य श्रेष्टिनों हट्टे / गत्वा गुणधरः स्थितः // 40 // ह. दृसत्कानि कार्याणि / स्वयं चक्रे स पुत्रवत् // तुष्टेन श्रेष्टिना नीतो / निमंत्र्य निंजमंदिरं॥ P.P.AC. GunratndsuriM.S. - Jun Gun Aaradhak Trust