________________ %D प्रत्येक / निकेतनं // 25 // तावनटिति निबाना / महाघाटी समुत्थिता // कोदमदमीनिर्मुक्त-का मखंमितविग्रहा // 2 // उत्कटा सुनटाः पेतुः / सार्थस्तै टितस्ततः // बध्वा नीता नि. परित्रं जां पह्रीं / नरा गुणधरादयः // 21 // दत्वा अव्यं जनाः सर्वे / स्वजनों चिता गताः॥ स्व स्थान परमेकाकी / तस्थौं गुणधरस्ततः // 2 // ताताझानंगवृक्षस्य / स्यादेष कुसुमोनमः चिंतयन्निति निःक्षिप्तः / कारागारे वसत्यसौ // 23 // सुजानोऽतिकदन्नानि / सहमानः पराजवान् // कष्टेन गमयन् कालं / स चित्तांतरचिंतयत् // 24 // विज्ञापितेऽथ तातस्य / हस्येऽई स्वजनैरिति // अहो विदेशं गत्वायं / साध्वीं श्रियमुपायत् // 25 // उपायंचिंतयन्नन्यं / स कारागारर वितुः // दृष्टवान् कुष्टरोगेण / व्याप्तं सर्वांगमंगजं // 26 // ऊंचे गुणधरः किं नो / त्वया पुत्रोऽप्युपेक्ष्यते // व्याधिना बाध्यमानोऽसा-वुदासीनैजनैरिव // 27 // तेनोंक्तं विहितान्यस्यौ-षधानि विविधान्यपि // परं कोऽपि गुणो नास्य / संजातो जातकस्य मे // 20 // यदि त्वं वैत्सि किंचिनो। तदेतं प्रगुणीकुरु // तेनोक्तमौषधं वेदमि। कुष्टहृद् दृष्टप्रत्ययं // 39 // श्रीफलं फलिनीकंद-इत्यायेरौषधैर्युतः // क्वाथः पीतो हरेत्कुष्टं / पुष्टं च कु. || PPP.AC..Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust