________________ 114 प्रत्येक ___ // अथ तृतीयः प्रस्तावः प्रारभ्यते // फणिमणिकिरणालियोतिताशाविजागो। विततदुरितवृक्षोन्मूलने मत्तनागः // प्रमदपरित्रं कुमुदखंमोबासने चारुचंयो। दिशतु शिवसुखं मे पार्श्वनाथो जिनेंद्रः // 1 // सिद्धार्थादपि संभूतो / यः प्रभूतपराक्रमः // अकंपयन्मेरुमपि / श्रीवीरः स शिवाय वः // 2 // श्तो नमिनरेंजस्य / चरित्रं कीर्तयिष्यते // जवांतरेज्य आरज्य / जो जो सच्या विजाव्यतां ॥३॥मंगलस्थालवनाति / नक्षत्रादतनूषितः॥ जंबंधिपः सुपर्वाधि-नालिकेरविराजितः॥४॥ न. रतक्षेत्रमतास्ति / क्षेत्रवधर्मशस्यनृत् // वितिप्रतिष्टितं नाम / पुरं तत्राजवत्परं // 5 // तस्मिन् दृढरथो राजा / बिमोजा श्व ताविषे // सुंदर्या सुरसुंदर्या / सह क्रीमां करोति सः॥ // 6 // समुदत्तसंज्ञोऽथ / तत्र श्रेष्टयुत्तमोऽवसत् // तन्नार्याभृत्समुश्रीः / सलावण्या समु. द्रुवत् // 6 // तयोर्जुजानयोः सौख्यं / गुणिनावंगजावुजौ // गुणचंछो गुणधर / इतिसंझौ ब भूवतुः // 7 // कखाकलापकुशलौ / मातापित्रोर्मनोरथैः // सहैव जग्मतुधि / प्रीतिमंतौ प. || रस्परं // 7 // बहिर्गतोऽन्यदा दान-शौंमो गुणधरोऽशृणोत् ॥श्रवणत्रीणकं श्लोक-मित्येकं || % 33 Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.