________________ जो च्यमानामिमां सजा / स्त्रीलोल इति दोषतः // न दास्यति बलं किंचि-न्न चलत्येव मेऽधुना || // 36 // इति चिंताचितावहि-दह्यमानमना धनं // विछायवदनः वीण-क्षीणदेहः सदानपरित्रं बत् // 30 // युग्मं // हिमुखस्तं तथा दृष्ट्वा / पृष्टवान् दुःखकारणं // प्रयोतोऽपि कथंचित्तं / खानिप्राव न्यवेदयत् // 30 // अथ सजा प्रसन्नस्तु / पुत्रीपाणिग्रहोचितां // सामग्री कारयामास / समग्रामचिरादपि // 35 // महेन महता लोऽपि / परिणाय्य निजांगजां // गजादिदानसन्मान-र्जामातरमतोषयत् // 40 // अत्यंतं तेन सत्कृत्य / चंम्प्रद्योतभूपतिः // विसृष्टः प्राप्तवान् राज्य-मुजयिन्यामपालयत् // 41 // द्विमुखक्षितिपालस्य / श्रीकांपील्यमहापुरे // प्रतिपालयतो राज्यं / वत्सरा ऐयरुर्घनाः // 42 // अथान्यदा समायातः / शरकालस्तदा जनाः // बारेलिरे महीयांसं / सम्यगिंद्रमहोत्सवं // 43 // राजा पौरजनैः साक-मिंद्रस्तंनमनहत् // यारोप्य कारयामास / प्रतिष्टां सत्तमैः // 4 // सुकोमलैः पहकूलैः परितः कृतवेष्टनः // शुजाकारैरलंकारैः / सोऽलंकृतस्ततो बनौ // 45 // नाव्यगीतप्र| बंधेन / सुगंधेन च वस्तुना // करमाख्यमुख्येन / तत्पूंजामकरोजानः // 46 // अपूजयत्व PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust