________________ तः // ॥आगात्पर्युषणापर्व / सर्वधार्मिकहर्षकृत् // विधायोपोषितं राजा। पौषधवतमग्रहीत् // नए // सूपकारैरथो बरूं / चंप्रद्योतभूपतिं // प्रत्यूचे भूप किं कार्य / नवद्योग्यं नु जोजनं ॥ए॥तेनोक्तमद्य किं प्रश्न / उदायननराधिपः // यशोदयते समं तेन / जुक्तिः कार्या मयापि 100 हि // 1 // अद्य, पर्युषणापर्व / तेनोदायनभूपतिः // उपवासं व्यधादेव / तैरुक्ते स नृपो जगौ ॥एशामा विषादिप्रयोगो मे / जायतेऽयेति शंकितः ॥अस्माकमुपवासोऽद्य ।श्रावकाः किमुनो वयं ॥ए३॥ सूपकारो वचस्तस्यो-दायनाय न्यवेदयत् // मया साधर्मिकस्यास्य / धिगवा वि. निर्ममे // ए४ // विचिंत्येति समाहृय / प्रद्योतं मस्तकोपरि // बंधवा स्वर्णमयं पढें / क्षमयित्वा मुमोच सः // ए५ // उज्जयिन्यामसौ प्राप्तो / निजं राज्यमपालयत् // वर्षाकाले व्यती. तेऽयो-दायनः स्वं पुरं ययौ // ए६ // एवमादिप्रकारेण / स्थाने स्थाने नराधिपः // विखंमिताजिमानोऽपि / प्रद्योतो द्योतते कथं // ए // अथो पूत त्वया वार्यः / स्वस्वामी परवस्तुषु // सानिलाषो वध्यमानो / वधं प्राप्स्यति कुत्रचित् // 7 // बंदिनावे पुनः स्थातुं / तवेश। स्यास्ति चेन्मनः // तदा सद्यः समायातु / संना सह सेनया // एए // सोपहासमिति प्रो. // M P.P.AC.Gunratnasuri M.S.