________________ प्रत्येक चरित्रं 107 // ए॥ माल्यम्लानेरदैवीं तां / प्रतिमां ज्ञातवान् प्रगे // गंधेजस्यागमं चात्म-गजानां दोनदर्शनात् // 70 // दास्याश्चादर्शनात्स्येक-लोलं प्रद्योतभूपतिं // ज्ञात्वोदायनराद कु5-श्चातुरंगबलोऽचलत् // 1 // आगान्मालवदेशस्य / संनिधौ तावता नृपः // प्रयोतो निर्ययौ जज्ञे ।योर्युङ बिनीषणं // 7 // कृत्वा रथचामं सद्यो / मयित्वा रिपोर्गजं // लघुहस्ततयाविध्य-सूचीमुख शिलीमुखैः // 3 // गजेऽनल गिरौ विद्ध-चरणे पतिते रणे // उत्पत्योदायनो राजा / पतंतं तमुपाददे // 4 // बध्ध्वारोप्य रथे स्वीये / स स्वस्थानं समाययौ // प्रद्योतस्याथ निर्नाथं / सैन्यं नग्नं गतं कचित् // 6 // शिलीमुखमुखेनैष / रोषात्प्र. द्योतभूपतेः॥ शीर्षेऽक्षरावली न्यस्य-दासीपति रितीहशीं // 4 // प्रविश्योज्जयिनीमध्ये। प्रतिमा लातुमुद्यते // तस्मिन् सा नाचलत्स्थाना-चालितापि धनैर्जनैः // 5 // उपोषित स्थितमथो / नरें निशि देवता // ऊचे मा नय मां तत्र / नविता यापवः // 6 // अथो निःसृत्य भूपालः / प्राचलत्स्वपुरंप्रति // वर्षाकालः समायातो। मार्गनंगैककारणं // // // निवेश्य नगरं नव्यं / श्रीमदशपुरानिधं // दशभिः सह भूपालै-रुदायननृपः स्थि- || P.P.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust. .