________________ चरित्रं जागते काले / सुसुमारपुरेशितुः // धुंधुमारनरेंजस्य / श्रुत्वांगारवती सुतां // 50 // सुरूपां या- / / चतेस्मासौ। चंप्रद्योतभूपतिः // स्त्रीलोल इति नो तस्मै / धुंधुमारनृपो ददौ // 55 // प्र द्योतः कुपितवांतः / सैन्येन महतान्वितः // प्राचलत्सोऽपि राजेंद्रः / किंचिठ्याकुलतां ययौ ! 105 // 60 // एको मंत्री निमित्ताः / शब्दग्रहणहेतवे ॥प्रेषितो नगरस्यांतः / स गत्वात्रासय बिशून् // 61 // तेऽपि नीतास्ततस्त्रस्ता / गता देवकुलांतरे // कृपया तत्र वार्तर्षि- बिजीतेति तानवक् // 6 // तं सुंदरतरं शब्दं / मंत्र्यादाय समाययौ // प्रद्योतेन समं युकं / धुंधुमारनृपो व्यधात् // 63 // जंक्वाखिलं बलं तेन / बद्धः प्रद्योतनृपतिः॥ आनीतश्च निजं वेश्म / किं विधेयं तवाधुना // 64 // इत्युक्तः प्राह त्वश्मिा -तिथेर्यझा विधीयते // अतस्तेन प्रसन्नेन / तामंगारवती सुतां // 65 // परिणाय्य विमुक्तोऽसौ। निजं धाम.समागमत् // एवं डूत तवेशस्या-वदाताः संत्यनेकशः // 66 // अथोंदायनराजेन / न्यस्ता शीर्षेऽकरावली // दासीपतिरिति स्पष्टा / तस्येत्येतन्निशम्यताः // 6 // अस्ति वीतभयं नाम / पुरं वीतनयं संदा // तस्योदायनपोऽस्ति / तत्प्रियात्प्रजावती // 6 // विद्युन्माविकृतां / / P.PAC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust