________________ by PAT? SMS || चन्द्रप्रभा असमञ्जस में पड़ गयी। उसने विचार किया कि मैं क्या करूँ? यदि मैं राजा मधु के निकट जाती हूँ, तो वह बलात् अपनी कामवासना की पूर्ति कर लेगा एवं मुझे बाध्य हो उसका पत्नीत्व स्वीकार करना पड़ेगा। यदि उसकी आज्ञा का पालन नहीं करती हूँ, तो वह क्रोधित हो उठेगा। अतः वहाँ जाना ही उचित है। ऐसा विचार कर चंद्रप्रभा दुःखित हृदय से अपने साथ आये हुए भृत्यों एवं दासियों के साथ राजा मधु के महल की ओर चल पड़ी। - उस समय महाराज मधु अपने महल के सप्तम खण्ड में आसीन थे। चतुर दासी ने अन्य सेवकों को नीचे ही छोड़ दिया एवं चंद्रप्रभा को लेकर राजा के यहाँ गयी। राजा बड़े प्रसन्न हुए। दासी ने करबद्ध नमस्कार किया / वह चन्द्रप्रभा को वहीं छोड़ कर नीचे उतर आयी, तब चन्द्रप्रभा को घोर चिन्ता हुई। उसने राजा मधु को कक्ष में एकाको पाया। वह घबरा गयी, उसका सर्वाङ्ग थर-थर काँपने लगा। लज्जावश मौन धारण कर वह एक कोने में खड़ी हो गयी। यद्यपि उसकी उदासीनता देख कर राजा मधु भी सहमे, फिर भी कामी हृदय उन्मत्त हो उठा। वे स्वयं चन्द्रप्रभा का कर थाम कर बलात् उसे अपनी सेज पर ले आये। तत्पश्चात् उसे बहकाने के लिए अनेक मोहक शब्दों से प्रशंसा करने लगे-'हे रूपवती! तुम प्रसन्न रहो। तुम्हें चिन्ता किस बात की है ? तुम्हारा पति हेमरथ मेरा ही अनुचर है। यह तो तेरा सौभाग्य है कि तू निम्न श्रेणी से उन्मुक्त हो मेरी प्राणप्यारी बन रही है। तुझे इस सुयोग से हादिक प्रसत्रता होनी चाहिये।' राजा मधु के ऐसे निन्द्य वाक्य सुन कर चन्द्रप्रभा ने कहा-'हे महाराज ! आप उत्तम कुल के भूषण हैं। धर्मात्मा एवं न्यायी होकर भी ऐसी निन्दनीय चेष्टा क्यों करते हैं ? जब रक्षक ही भक्षक बनेगा, तो रक्षा कौन करेगा? संसार में पर-स्त्री सेवन से गर्हित अन्य कोई पाप नहीं है। बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी कुचेष्टा स्वप्न में भी नहीं करते एवं जो कुलीन स्त्रियाँ हैं, वे पर-पुरुष को चाहे वह कामदेव सदृश रुपवान ही क्यों न हो, स्वप्न में भी अङ्गीकार नहीं करतीं। वे दुराचार में प्रवृत्त होकर अपने पति को छल नहीं सकतीं।' इस प्रकार चन्द्रप्रभा ने महाराज मध को पर्याप्त समझाया। किन्तु उस पर किंचित् भी प्रभाव न पड़ा। वह कामवासना से पीड़ित हो कर बलात् चन्द्रप्रभा से रमण करने लगा। शनैः-शनैः राजा मधु ने उसे वचनों से, परिहास से, चुम्बन, विसत, रत, कुटिल दृष्टि, मादि काम-चेष्टाओं से कामासक्त कर दिया। फलस्वरूप चन्द्रप्रभा भी अपने पति राजा हेमरथ को विस्मृत कर Jon Gun Trust