________________ ROPRABORIHARANPCRIBRA श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRSSwayadeRRIORRIAssosis E FFEE अन्यय :- एवं वशङ्गता बालिका नलस्य गुणग्रामं विमृशन्ती तस्य कण्ठपीठे घरमालिकांन्यधात्॥१८॥ विवरणम् :- एवं वशंअधीनंगतावशाताबालिकादमयन्ती नलस्यगुणानां ग्राम: समूह: गुणग्राम: तंगुणग्रामं विमृशन्ती विचारयन्ती तस्य नलस्य कण्ठ एव पीठं तस्मिन् कण्टपीठे - वराय मालिका वरमालिका तां घरमालिकांन्यधात् चिक्षेप // 18 // सरलार्थ :- नलं दृष्ट्वा तद्वशता बालिका दमवन्ती नलस्व गुणग्राम विचारयन्ती तस्व नलस्व कण्ठपीठे वरमालां अक्षिपत् // 18 // ગુજરાતી :- એ રીતે નલરાજાના ગુણોનો સમૂહ વિચારતી, તથા તેને વશ થયેલી દમયંતીએ તેના કંઠમાં વરમાળા આરોપિત કરી,૬૮. दी:- इस तरह नलराजा के गुणसमूह के बारे में पूछती, तथा उससे प्रभावित हई दमयंती ने उस के कंठ में वरमाला पहना दी। // 68 // मराठी:- या प्रमाणे नलराजाच्या गुणाविषयी विचार करीत प्रभावित झालेल्या दमयंतीने नलराजाच्या गळ्यात वरमाळा टाकली. // 18 // English :- So asking the king about his qualities and deeds, Damyanti being charmed by king Nal, put the garland in his neck. अहो सुवृत्तमित्युच्चै - वीप्सया वदतां तदा // अभूत् कोलाहल: कोऽपि, ककुभः प्रतिशब्दयन् // 69 // 1 अन्वय:- तवा अहो सुवृत्तं / इति उच्चैः वीप्सया वदतां जनानां ककुभः प्रतिशब्दयन् क: अपि कोलाहल: अभूत् // 6 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust