________________ OYEARSWASTINATINATIRGIANABAD श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलयमयन्तीचरित्रम् Ravidavanausedusedusagased ईदृक्कालकराल: किं, स्यान्मनुष्योऽपि सावदत् // ततोऽतिक्रम्य तं भद्रा, कलिङ्गेशमदर्शयत् // 63 // अन्यय:- सा अवदत् स: मनुष्य: अपि ईवृकालकराल: किं स्यात् / तत: भद्रा तम् अतिक्रम्ब कलिङ्गेशम् अदर्शयत् // 6 // विवरणम् :-सा दमयन्ती अवादीत् - अवदत् - स: मनुष्य: मानव: सन् अपि ईवृक् काल: यमः इव कराल: भयङ्करः कालकराल: यमराजयभीषण: किं स्यात् / इति दमयन्त्या वचनं श्रुत्वाऽयमस्यै नरोचते इति मत्वा ततः तवनन्तरं भद्रातंगौडेशम अतिक्रम्य उल्लङ्घ्य कलिङ्गेशं तस्मै दमयन्त्यै अवर्शयत् // 13 // सरतार्थ :- सा दमवन्ती अकवयत् मानवः सन् अपि ईट वमः इव भवङ्करः कश्यते / इति भैमीवचनं श्रुत्वा तन्मनोगतं ज्ञात्वा तं गौडेशम् उल्लहप्य तस्मै कलिलेशम् अदर्शयत् // 6 // ગુજરાતી :- મનુબ હોવા છતાં પણ આવો યમસરખો ભયંકર કેમ છે? એમ દમયંતી બોલી, ત્યારે તેને છોડીને ભદ્રાએ તેને हिंधनोशन यो. // 6 // हिन्दी:- मनुष्य होते हुए भी यह यम के समान भयंकर क्यों है? ऐसा दमयंती के बोलने पर भद्राने उसे कलिंगदेश का राजा दिखाया // 63|| मराठी:- माणस असून सुद्धा यमासारखा भयंकर का आहे? अशी ती दमयंती म्हणाली, तेव्हा त्याला सोड्न भनेने तिला कलिंगदेशचा राजा दाखविला.॥६३|| English:- Damyanti askes that even after being a man, how does he look so deadly, like the God of death (Yama)? Then Bhadra, leaving him, introduced her to a king from Kaling.