________________ ORomanusarSapdevar श्रीजयशंग्वरमार्गवर्गचनं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम NawaduwaosuspegusarouguPAY gitals 5555hoto इत्युदित्वा नलो रङ्गभूमौ पतितुमिच्छति॥ राजोचे सम्भ्रमेणालं नाट्यं हुण्डिक खाल्विदम्॥७७४॥ अन्वयः- इति उदित्वा नल: रणभूमौ पतितुमिच्छति / राजा ऊचेसम्भ्ररेण अलम् / हुण्डिका इदं नाट्यं खलु // 774 // विवरणम्:- इति उदित्वा उक्त्वा नलः अस्य भूमि: रङ्गभूमिः, तस्यां रणभूमौ पतितुमिच्छति पिपतिषति / तदा राजा नृपः ऊचे अभिदधे। सम्भ्रमेण त्वरया अलम् ।हे हुण्डिका इदं नाट्यं वर्तते खलु॥७७४॥ . पसरलार्थ:- इत्युक्त्वा नल: रणभूमौ पतितुमिच्छति / तदा राजा ब्रूतेसम्भ्रमेण अलम् / हे हुण्डिक। इदं नाट्यं वर्तते खलु ||4|| પEગુજરાતી:- એમ કહીને નલ રંગભૂમિ પર પડવા ઈચ્છે છે, એવામાં રાજાએ કહ્યું કે હે હુંડિકા સંભ્રમ કરવાથી સર્યું. આ તો નાટક छ.॥७७४॥ हिन्दी :- ऐसा कहकर नल रंगभूमि पर जैसे ही गिरने के लिये तैयार होता है, इतने में राजा कहते है, "हे इंडिका अब भ्रमित होना छोड दो, यह तो नाटक है।"||७७४॥ मराठी:- असे म्हणून नलराजा रंगभूमीवर पडण्याची इच्छा करीत आहे तेवढ्यात राजा त्याला म्हणाला, "हे इंडिका। पाई का नकोस. हे तर नाटक आहे."G७४|| English - As Nal got ready to place himself as a bait instead of Damyanti, the king atonce intervened and said to him to cast away all which as this was only a play being acted. HERSi नल: सलज्नं दध्यौ किं चक्रे शोकादिदं मया। प्रकाशं नृप नन्वेतत्कारुण्यातिशयोर्जितम् // 775 // पअन्वयः- नल: सलज्ज वध्यौ। मया शोकात् इदं किं चक्रे / तत: प्रकाशं ब्रूते - हे नृप। ननु एतत् कारुण्यातिशयोर्जितमस्ति // 775 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust