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________________ ONOSesalesalesalesed श्रीजाणशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् ARRANGERasPaamawenlaod DESEELEASELESELEASEEL पुरौ भूत्वाह गान्धार आर्ये इत इतस्ततः॥ सर्वे क्रामन्ति गान्धारो विलोक्य न्यवृतद्भयात् // 766 // र अन्वयः- तत: गान्धारः पुरः भूत्वा आह - आयें। इत: इतः। सर्वे क्रामन्ति / गान्धार: विलोक्य भयात् न्यवृतत् // 766 // विवरणम:- तत:गान्धारःपुरः अग्रे भूत्वा आहब्रवीति- आर्ये। इत: इत: आगच्छ। सर्वे क्रामन्ति चलन्ति गान्धार: विलोक्य दृष्टा भयावन्यवृतत् न्यवर्तत // 766 // सरलार्थ:- तत: गान्धारः पुरः भूत्वा वदति - आर्वे! इत: इत: आगच्छ। सर्वे गच्छन्ति / गान्धारः विलोक्यं भवात् ज्यवर्तत।।७६६॥ ? ગુજરાતી :- પછી ગાંધાર આગળ ચાલીને કહેવા લાગ્યો કે હે આર્યો તમો આ બાજુ આવો? આ બાજુ આવો? પછી સઘળા તે બાજુ જાય છે, એવામાં ગાંધાર ત્યાં જઈને ભયથી પાછો વળ્યો.૭૬૬ हिन्दी :- फिर गांधार आगे चलकर कहने लगा कि, "हे आयें। तुम इधर आओ। इस ओर आओ।" फिर सब उस ओर आते हैं। इतने में गांधार वहाँ देखकर भय से पीछे हट गया। // 766|| ॐ मराठी:- नंतर गांधार पुढे येऊन म्हणाला की, "हे आ। दमयन्ती! इकडून इकडून ये." नंतर सगळे त्या बाजूला जातात. पण गांधार पुढे पाह्न भीतीने मागे फिरला.॥७६६॥ English :- Then Ghandar told them to come on to his side. When they go to his side, Ghandar is suddenly overcome with fright and he moves aback. ऊचे चार्ये निवर्तस्व निवर्तस्व द्रुतं द्रुतम्॥ क्षुत्क्षामकुक्षिरुत्ताल: कराल: केसरी पुरः॥७६७॥ य:- ऊचे च / आयें। द्रुतं निवर्तस्व / द्रुतं निवर्तस्वा पुरः क्षुत्क्षामकुक्षि: उत्ताल: कराल: केसरी वर्तते।७६७॥
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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