________________ oshoosudasundumuseogav श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् sudasipapasangsansasangasansportan ગુજરાતી:- હે પૃથ્વી! મારા પરનુકપા કર અને મને પાતાલમાં પેસી જવાને માર્ગ બતાવકે જેથી શેષનાગના ઝેરથી મૂર્ણિત થઈ ચેતનાવિહિન બની જાઉં.૭૫૪ हिन्दी :- "हे पृथ्वी! तुम मुझपर कृपा करो! मुझे पाताल में जाने का मार्ग बताओ। जिससे शेषनाग के जहर से मूर्छित होकर मैं जरा भी चेतनावाला न रहूं।"७५४॥ मराठी:- "हे पृथ्वी! माझ्यावर कृपा करा आणि मला पाताळात जाण्याचा मार्ग दाखव की, ज्यामुळे शेषनागाच्या विषाने बेशुद्ध होऊन मी चेतनारहित होऊन जाईन."||७५४|| English :- Nal then begged to the earth to do a favour on him, by showing him the way to hadus, where he can loose his conciousenss and never regain it back. OTA职骗骗骗骗骗骗骗听听听听听听听听听就 भैमी किश्चित् परिक्रम्य ही ललाटे तपो रविः।। न शक्नोमितपे गन्तुमूवं वीक्ष्याऽब्रवीत् ततः // 755 // अन्वय:- भैमी किश्चित् परिक्रम्य ऊध्वं वीक्ष्य अब्रवीत् - ललाटे तप: रविः। तत: आतपे गन्तुं न शक्नोमि // 755 // विवरणम:- भीमस्यापत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती किश्चित् परिक्रत्य गत्वा ऊर्ध्वमुच्चैः वीक्ष्य वृष्टा अब्रवीत् / अवोचत - ललाटे तपतीति तप: रवि: सूर्यः। सूर्यः प्रखरेणातपेन ललाटं तपति। ततः तस्मात् अहम् आतपे गन्तुं न शक्नोमि // 755 // सरलार्थ:- दमयन्ती किश्चित् परिक्रत्य ऊर्वमवलोक्य अब्रवीत् - सूर्वः ललाटं तपति। तेन अहमातपे गन्तुं न शक्नोमि // 755|| ગુજરાતી:- પછી દમયંતી કંઈક ચાલીને, તથા ઊંચુ જોઈને બોલી કે, અરેરે લલાટને તપાવે એવો સૂર્ય તપે છે, માટે તડકામાં હું ચાલી શકતી નથી.૭૫પા 1:- फिर दमयंती कुछ दूर चलकर, ऊँचा देखती है और कहती है कि, "अरेरे। ललाट गरम हो जाये ऐसा सुरज तप रहा है, जिससे मैं धूप में नहीं चल सकती।"||७५५|| 騙騙骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗。