________________ M esdastawenlASTERSश्रीजयशेखरसूरिविचित श्रीनालक्षमयन्तीारिशमा SA P ANAYASARDAM सरलार्थ:- पिङ्गलः सासम् अवदत् - आयें। असो तव पापीयान् पति: न अस्ति / किन्तु एषा तव प्रतिच्छाया वर्तते / तदा दमयन्ती अवदत् / / 747 - ગુજરાતી:- પછી પિંગલે આંસુઓ સહિત કહ્યું કે, હે આર્ષે આ તારો પાપી પતિનથી, પરંતુ તે તારો પડછાયો છે, ત્યારે દમયંતી गोबी3,७४७॥ हिन्दी:- फिर पिंगल आसुसहित कहता है कि, "हे आयें। यह तेरा पापी पति नहीं है, बल्कि यह तो तेरी परछाइ है।" तब दमयंती कहती है कि, // 747|| मराठी:- नंतर पिंगल होळयात अ आणून म्हणाला, "हे आयें। हा तुझा पापी पति नाही, परंतु ही तुझी सावली आहे," तेव्हा दमयंती म्हणाली.||७४७|| English - Then Pingal, with tears in his eyes, said to Damyanti that it was only her shadow and not her husband who is a sinner of the last order. FEATHESE FAYEHEYELFALFASS LEEKLFALFVEYE ME आर्यच्छायैव किंमेसा वार्यपुत्र: पुनर्नहि॥ सत्यं त्यक्तैव तडौस्मि स्यमलोक्य ततोऽभ्यधात् // 748 // 2 अन्वय:- आर्य। किंसा मे छाया एव वर्तते / आर्यपुत्र: पुन: न अस्ति। तर्हि सत्यं त्यक्ता एव अस्मिा तत: स्वमालोक्य अभ्यधात् // 748 // विवरणम्:- आर्य। किंसा मे-मम छाया एव वर्तते। आर्यपुत्र: नास्ति। तर्हि सत्यम् अहं त्यक्ता एव अस्मि। तत: स्वम् आलोक्य वृष्टा दमयन्ती अभ्यधात् अवादीत् // 748 // . सरलार्थ:- आर्य। किं सा मे छाया एव वर्तते / आर्यपुत्रः बास्ति / तर्हि अहं त्यक्ता एव अस्मि। तत: स्वम् आलोक्य दमयन्ती अवदत् . // 748 //