________________ oressagessexdesesandesidades श्रीनयशेखरमूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम apparespitosangregandeseservemsaseday विवरणम:- राजा नृपः रोषेण सह यथा स्यात् तथा सरोषं सक्रोधम् आचख्यौ कथयामास हुण्डिका त्वं लोकान् पान्तीति लोकपा: तान् लोकपानलोकपालान वृथा उपालभसे निन्दसि।यत् यतः तेलोकपाला: पापम् अस्यास्तीति पापीतंपापिनं पापकारिणं न पश्यन्ति एव / (अपि: एवार्थे) // 746 // सरलार्थ:- नृपः सरोषम् अवयवत् - हुण्डिका त्वं लोकपालान वृथा उपालभसे / यत: ते लोकपाल: पापिनं न पश्यन्त्येव / / 746 // ગુજરાતી:-ત્યારે રાજાએ કોધથી કહ્યું કે, અરે હુંડિક તું લોકપાલને નાહક ૫કો આપે છે, કેમકે તેઓ પાપીની સાથું પણ જેતા नधी.॥७४६॥ तब राजाने क्रोधित होकर कहा कि, "अरे हुंडिका तूं लोकपाल को व्यर्थ ही दोष दे रहा है, क्यों कि वे तो पापी के सामने देखते भी नहीं हैं।"||७४६|| मराठी:- तेव्हा राजा क्रोधानी म्हणाला, "अरे। हुडिंका त् लोकपालांना काही कारण नसतांना ठपका (दोष) देत आहेस कारण ते तर पापी माणसाकडे पाहातसुखा नाहीत."1७४६॥ English:- The King than said to Hundick that it cannot be the fault of the Lokpals as they dont even see the faces of sinners. EFFET पिङ्गल: सास्त्रमार्येऽसौ न पापीयान् पतिस्तव। किन्त्वेषां ते प्रतिच्छाया दमयन्ती ततोऽववत् // 747 // अन्यय:- पिङ्गल: सासमाह - आयें। असौ तव पापीयान् पति: न। किन्तु एषा ते प्रतिच्छाया अस्ति / तत: दमयन्ती अवदत् // 747 // विवरणम्:- पिङ्गल: आक्षेण अश्रुसमूहेन सहसासमाह ब्रवीति - आयें। असौ तव अतिशयेन पाप: पापीयान् पति: न अस्ति। किन्तु एषा ते तव प्रतिच्छाया अस्ति। तदा दमयन्ती अवदत् // 747 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust