________________ S OROSHeasesansasewardeesusages श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् Sansasreshshrima विवरणम्:- गान्धारः अवदत् - आयें। असौ पक्षिणी चक्रवाकी किं विजानाति? भैमी ऊचे वभाषे-तत: अन्यमपरं प्रक्ष्यामि, इति साह अन्यान् वीक्ष्य अवलोक्य अब्रवीत् अवक्॥७२५॥ ॐ सरलार्थ:- गान्धारः अवदत् - आ। असौ पक्षिणी किं वेति! दमयन्ती अभणत् - ततः अन्य प्रक्ष्यामि / इति सा अन्यान वीक्ष्य अब्रवीत् // 725| * ગુજરાતી:- તારે ગાંધાર બોલ્યો કે, તે આર્ષે આ પમિણી શું જાણે? તારે દમયંતી બોલી કે, ત્યારે બીજને પૂછું, એમ કહી બીજાઓને જોઈને બોલી, ૭૨પા हिन्दी :- तब गांधार कहता है कि, "हे आयें। यह पक्षिणी क्या जान सकती है?" तब दमयंती बोली कि, "तब औरों को पूछती है" ऐसा कहकर वह दूसरो को देखकर कहने लगी, // 725 // जमराठी :- तेव्हा गांधार म्हणाला कि,"हे आयें! ही पक्षिणी काय समजु शकेल?" तेव्हा दमयंती म्हणाली की, "दुसऱ्यांना विचारुन " बघते मी?" असे म्हणून ती दुसन्यांना पाहून म्हणू लागली, |725|| English :- At this Ghandar asked her, as to how this female-bird will understand her dialect. So Damyanti began asking the others around, regarding her beloved. EEEEEEEEEK भ्रातर्बहिणा तातैण मात: कुअरवल्लभे॥ सध: प्रसध मे ब्रूत विहित: सैष वोऽआलिः // 726 // 3 अन्वयः- हे भ्रात: बहिण | तात एण! मात: कुअरवल्लभे / सध: मे प्रसघ बूत / व: स एष: अञ्जलि: विहितः॥७२॥ विवरणम्:- हे भ्रात: बन्धो बर्हिण मयूरा तात मृग हरिणा मात: कुञ्जरस्य गजस्य वल्लभा कुअरवल्लभा, तत्सम्बुद्धौ हे कुजवल्लभे गंजप्रिये करिणि सद्य: शिघ्रं मे मयि प्रसध प्रसन्ना: भूत्वा ब्रूत वदत / व युष्माकं सः एष: अञ्जलि: विहितः कृतः।' बच्चाअलि: अहं युष्मान विज्ञापयामि। मयि प्रसघ शीघ्रं वदत // 726 //