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________________ 3 ORNETheseardasrephasize श्रीजयशेग्यग्मृरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम Jacquesdecessagesdesignisesassueig हिन्दी.. तब पिंगल उसे क्रोधपूर्वक कहता है कि, "हे आयें! अनार्य कार्य (दष्ट कार्य) करनेवाले चाण्डाल समान नल के साथ अब तेरा क्या प्रयोजन है? इसलिये अब तू सार्थवाह धनदेव के पास चला // 715 // 卐मराठी:- तेव्हा पिंगल तिला 'क्रोधाने म्हणाला की, "हे आयें। अत्यंत नीच कर्म करणाऱ्या त्या चाण्डाळे नलाशी तुला काय करावयाचे आहे। त् सार्थवाह पनदेवाकडे जा."||७१५|| u English: Then Pingal angrily said to Damyanti as to what can be the use and purport to live or wait for a cruel and a sinful man like Nal, so she should proceed along with the chief of the encampment, Dhandev. RELESE राजा सहर्षमाचख्यौ साधु साधु कुशीलव॥ स्वप्नेऽप्यदृश्यवक्योऽसौ त्यक्ता येनेयमेकका // 716 // अन्यय:- राजा सहर्षम् आचख्यौ / कुशीलव! साधु साधु / येन इयम् एकका त्यक्ता। असौ स्वप्नेऽपि अवश्यवक्त्र: अस्ति // 716 // विवरणम:- राजा नप: हर्षेण सह यथा स्यात् तथा सहर्षम् आचख्योकथयामास-हे कुशीलवानटा साधुसाघु उक्तं त्वंया।येननलेन इयम दमयन्तीएकका एकाकिनीत्यक्ता। असोनल: स्वप्नेऽपि द्रष्टुं योग्यं दृष्यम्।नश्यम अदृश्यमा अवश्य वक्यं मखं यस्य स: अदृश्यवक्तः अस्ति। येन दमयन्ती एकाकिनी बने त्यक्ता। तस्य मुखं स्वप्नेऽपि द्रष्टुं योग्यं नास्ति॥७१६॥ सरलार्थ:- नप:सहर्षमवादीत् -हे नट। त्वया सायुसाघु उक्तम् / येन जलेन इयं साध्वी दमयन्ती एकाकिनी वने त्वक्ता। तस्य नलस्व मुखं स्वप्नेऽपि द्रष्टुं योग्यं नास्ति // 716| 8 ગુજરાતી:-ત્યારે રાજાએ હર્ષસહિત કહ્યું કે, હેનટીતંઠીક કહ્યું, કેમકે જેણે આદમયંતીને એકાકી જેલી છે, તેનું સ્વપ્નમાં પણ मु लानथी.॥७१६॥ 9 भर PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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