________________ S H Gsoft Storiesalestore श्रीजयशेग्यरमूरिविरचितं श्रीनग्नदमयन्तीचरित्रम् RelignesiantshrestEANIYA सोऽप्यभाषत मां तात सुसुमारपुरे नय।। तथा कृत्वा सुरोऽपि स्वं ययौ कल्पमनल्पधीः // 655 // अन्वयः- स: अपि अभाषत - तात! मां सुसुमारपुरे नय / तथा कृत्वा अनल्पधी: सुरः अपि स्वं कल्पं ययौ // 655 // विवरणम:- स: नल: अपि अभाषत - हे तात! त्वं मां सुसुमारपुरे नया तथा कृत्वा तं नलं सुसुमारपुरे नीत्वा अल्पा धी: यस्य सः अल्पधीः। न अल्पधी: अनल्पधी: विशालबुद्धिः सुरः निषधदेव: अपि स्वं निजं कल्पं देवलोकं ययौ इयाय // 655 // सरलार्थ:- सः नल: अपि तमभाषत - हे तात! त्वं मां सुसुमारपुरे नय / तदा नलं सुसुमारपुरं नीत्वा निशालबुद्धिः सः निषधदेवः स्वं देवलोकं जगाम // 65 // ગુજરાતી - ત્યારે નલે કહ્યું કે, હે પિતાજી અને સુસુમારપુરમાં લઈ જાઓ. પછી અતિબુદ્ધિવાન તે દેવ પણ તેમ કરીને પોતાના દેવલોકમાં ગયો.૬૫પા हिन्दी:- तब नल ने कहा कि, हे पिताजी! मुझे सुसुमारपुर ले जाइये / तब उस बुद्धिमान देव उसे यथास्थान पहुंचा कर, फिर देवलोक में चला गया। // 655 // मराठी :- तेव्हा नलराजा त्या देवाला म्हणाला- बाबा! मला सुसुमारपुरात घेऊन जा। तेव्हा अतिबुदिमान त्या देवाने पण तसेच केले नंतर तो देव देवलोकात निघून गेला. // 655|| English:- King Nal replied that he wishes to go to Susumarpur. At this the God reached him at that place and them left for heaven.