________________ AKA SARossBegusandasensus श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् yeadevasaeozsensusense NE अत्रान्तरे स्फुरहिव्य- ज्योतिस्तिलकभूषिता॥ प्राचीवाभ्रविनिर्मुक्त- रविबिम्बमनोहरा // 42 // अन्वय:- अप्रनिर्मुक्तरविबिम्बमनोहरा प्राची इव स्फुरदिव्यज्योतितिलकभूषिता दमयन्ती मण्डपं समागमत् // 42 // विवरणम् :- अभ्य: मेघेभ्यः विनिर्मुक्तम् अभ्रविनिर्मुक्तम् / रवः बिम्बं रविबिम्बम् / अभ्रविनिर्मुक्तम् च तद् रविबिम्ब च तद अभ्रविनिर्मुक्तरविबिम्बं तेन / मनः हरति इति मनोहरा प्राची इवा स्फुरत् च तद् दिव्यं च स्फुरहिव्यज्योतिस्तिलकः / तेन भूषिता स्फुरदिव्यज्योतिस्तिलकभूषिता यमयन्तीमण्डपं समागमत् // 42 // सरलार्य :- वथा मेयविनिर्मुक्तेन सूर्यबिम्बेन प्राची दिग् मनोहरा वर्तते तथैव स्फुरददिव्यज्योतिषा तिलकेन मनोहरा दमयन्ती सभामण्डपं समागमत् / / 4 / / ગુજરાતી :- એવામાં વાદળોમાંથી નીકળેલા સૂર્યના બિબથી મનોહર થયેલી પૂર્વદિશાની પેઠે વિસ્તાર પામતા દિવ્ય તેજવાળા તિલકથી અલંકૃત થયેલી દમયંતી સભામંડપમાં આવી પહોંચી.in૪રા हिन्दी :-- इतने में बादलों से नीकले हुए सूर्यबिंब से सजी हुई पूर्व दिशा की तरह बढ़ते हुए दिव्य तेजवाले तिलक से अलंकृत दमयंती सभामंडप में आ पहुंची // 42 // मराठी :- इतक्यात ढगांतून मुक्त झालेल्या सूर्यबिंबामुळे मनोहर दिसणाचा पूर्व दिशेप्रमाणे कपाळावरील दिव्य तेज असलेल्या तिलकामुळे शोभणारी दमयन्ती सभामंडपात आली. // 42 // English:- Just then the sun which had just come out of the clouds in the east, seemed so majestic and alluring and so bright. In the same way the diadem on the forehead seemed so bright and ornated, like the sun. EEEEEEEEEEEEEE