________________ ORMONTRIBABASARANPR श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् meanswAssodesawarentre वर्धमाना च सा धूम्या कालिन्दीव व्यराजत॥ मिलनायोपसर्पन्ती सवितुः पितुरात्मनः // 625 // अन्वय :- वर्धमाना सा धूम्या आत्मनः पितुः सवितु: मिलनाय उपसर्पन्ती कालिन्दी इव व्यराजत॥६२५॥ विवरणम् :- वर्धमाना क्षणे क्षणे वृद्धिं गच्छन्ती सा धूम्या धूमसमूह: आत्मन: स्वस्य पितुः जनकस्य सवितुः सूर्यस्य मिलनाय उपसर्पन्ती उद्गच्छन्ती कालिन्दी यमुना इव व्यराजत / यमुनाया: जलं कृष्णं वर्तते / तेन उद्गच्छन्ती सा धूम्या पितुः सूर्यस्य मिलनाय उत्सर्पन्ती कालिन्दी इव अदृश्यत॥६२५॥ सरलार्थ :- क्षणे क्षणे वर्षमाना सा मततिः स्वस्थ पितुः सूर्यस्य मिलानाव उगच्छन्ती उल्लसन्ती यमुना इव व्यराजत अ I62ll ગુજરાતી :- પછી વૃદ્ધિ પામતો એવો તે ધૂમાડાનો સમૂહ, જાણે પોતાના પિતા સૂર્યને મળવા માટે ઉંચે ચઢતો હોય તેમ યમુના નદીની પેઠે શોભતો હતો.૬૨૫ हिन्दी:- फिर बढता हुआ धुओ का समूह मानो अपने पिता सूर्य से मिलने के लिये ऊँचे जा रहा था और यमुना नदी के समान शोभायमान हो रहा था। // 625 // मराठी :- क्षणाक्षणाला वाढत जाणारा तो पुराचा लोळ, आपल्या पित्याला सर्वाला भेटण्यासाठी वर जात असलेल्या यमुनेप्रमाणे शोभत होता. // 625|| English - The smoke that began rising higher and higher seamed as though it was going up to pay a visit to his father, the Sun. The rising Smoke now seemed as magnificient and radiant as the river Yamuna. 吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼吼 卐 P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust