________________ ARROSOBAwarsesorstodate श्रीमयशेवग्यपिविचितं श्रीनलनमयन्तीचरित्र BHASABASARASHARAB /08 明明明明明听听听听听听听听听听听器 अङ्कपर्यङ्गमारोप्य पुष्पदन्त्यवदत् सुताम् / जागर्त्यद्यापि नः पुण्यं यज्जीवन्ती त्वमीक्षिता॥६१८॥ अन्वय :- पुष्पदन्ती सुताम् अङ्कपर्यम् आरोप्य अवदत् / अद्यापि न: पुण्यं जागर्ति / यत् त्वं जीवन्ती ईक्षिता // 618 // विवरणम् :-पुष्पदन्ती सुतां दमयन्तीम् अङ्कः एव पर्यङ्कः अङ्कपर्यङ्कः तम् अङ्कपर्यकम् आरोग्य उपवेश्य अवदत् अब्रवीत् / अद्यापि नः अस्माकं पुण्यं सुकृतं जागर्ति / यत् यत: तं जीवन्ती जीवितं दधती ईक्षिता दृष्टा // 618 // सरलार्थ :- पुष्पदन्ती दमयन्तीम् अत्रे उपवेश्य अब्रवीत् / वत्से। अयापि अस्माकं पुण्यं जागर्ति / यतः त्वम् अस्माभिः जीवन्ती रष्टा // 618 // ગુજરાતી:- પછી પુષ્પદનીએ પોતાની પુત્રીને ખોળારૂપી પલંગ પર બેસાડીને કહ્યું કે, હજી પણ અમારું પુય જાગતું છે, કે તને (અમોએ) જીવતી જોઈ. 618 हिन्दी:- फिर पुष्पदंती ने अपनी उस पुत्री को अपनी गोदीरूपी पलंगपर बिठाकर कहा कि, अभी भी हमारा पुण्य जाग रहा है कि तुझे (हमने) जीवित देखा। // 618 // मराठी:- ___ मग पुष्पदन्ती राणी दमयन्तीला मांडीवर बसवून म्हणाली- खरोखर अजूनही आमचे पुण्य जागे आहे. त्यामुळे त् आम्हांला जीवंत दिसली. // 618 // 6 English :- Then Pushpedanti (Damyanti's mther) made her sit on her cushion - like laps and said to her that the fruits of their megitorious actions, still radiates as they had, had this golden opportunity of manifesting her alive. 骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗明明明明明明