________________ OmssekashNARRAHARASHTRA श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् Readerssesseudoelag स्वगमा स्मृतपश्चनमस्कार: कुर्थशाबिधिमा / / देखमुत्सृज्य स स्थगें बभूवान् भासुरः सुरः॥६०५॥ - अन्वय:- स्मृतपञ्चनमस्कार: आराधना कुर्वन् स: पेहम् उत्सृज्य स्वर्गे भासुरः सुरः बभूवान् // 605 // विवरणम् :- पश्चच ते नमस्कारा: च पश्चनमस्कासः स्मृताः पञ्चनमस्कासा: सेना सः स्थापनस्वारः स्मृतपञ्चपरमेष्ठिनमस्कार आराधनायाः विधिः आराधनाविधिः तम् आराधनाविधिं कुर्वन विवयात सः वेड शरीरम उत्सण्य सन्त्यज्य सन्त्यज्य स्वर्गे भासुरः तेजस्वी सुरः देव: बभूवान् बभूव // 605 // संरलार्थ :- पचपरमेष्ठिनमस्कार स्मृत्वा आराधनाविर्षि कुर्बन सः देहम् सन्त्यज्य स्वर्ग भासुरः सुरः बभूव / / 605 // જરાતી:- પંચપરમેષ્ઠિ-નમસ્કારનું સ્મરણ કરીને, ખારાધનાની વિધિ ક૨ની નિા શરીરને ત્યજી દેવલોકમાં દદીખાન દેવ 25 // om पंचपरमेष्ठि-नमस्कारका स्मरण कर, आराधना की विधि करते हुए, वह मुनि शरीर को त्यागकर देवलोक में दैदीप्यमान देव हुए। // 605 // मराठी:- पंचपरमेष्ठींना नमस्कार करून विपिनुसार आराधना करीत तो भुनी देवावा स्थाण कसब देवलोकांत तेजस्वी देव झाला. // 605|| English :-Thus the monk. doing 'Panch Parmesthi Aradhna" alled and become God P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust