________________ AAPleaseasesatasarada श्रीजयशेखारसरिजिरचिती श्रीनलवमयन्तीचारित्रामा B B AUSTRail पुष्पदन्त्यपि तत् श्रुत्वा, रूदत्यश्रूण्यमुश्चत // पुत्रीजामातृदु:खाः, शान्तिं कर्तुमना इव // 570 // अन्वय :- पुष्पदन्ती अपि तत् श्रुत्या पुत्रीजामातृदुःखाग्नेः शान्तिं कर्तुमना इव रुवती अभूणि अमुचत् // 570 // विवरणम् :- पुष्पदन्ती अपि तत् श्रुत्वा तदाकर्ण्य * पुत्री च जामाता च पुत्रीणामातरौ / दुःखम् एव अनिः पुःखाग्निः पुत्रीजामात्रो: पु:खाग्निः पुत्रीजामातृदुःखाग्निः तस्य पुत्रीजामातृवुःखाः शान्तिं कर्तु मन: यस्याः सा: कर्तुमना: कर्तुकामा इव रुवती रोदनं कुर्वती सती अभूणि अमुञ्चत् // 570 // सरलार्थ :- पुष्पदन्ती अपि तदाकी पुत्रीजामातृदुःरवानेः शान्तिं कर्तुकामा इव रुदती सती अणि अमुखत् // 570 / / ગુજરાતી:- તે સાંભળીને પુષ્પદંતી રાગી પણ રુદન કરતી જાણે પુત્રી અને જમાઇ સંબંધી ખરપીઅરિને શાંત કરવાની ઈચ્છા १२वीडोरमणमा सारवासी.mson हिन्दी :- यह सुनकर पुष्पदंती राणी भी रुदन करती हुई मानो पुत्री और जमाइ के संबंधी दु:खरुपी अग्नि को शांत करने की इच्छा करती हुओं आंसु बहाने लगी / / 570 / / मराठी :- हे ऐक्न पुष्पदंती राणी पण रुदन करीत जण मुलगी आणि जावयासंबंधी दुःखरुपी अग्नीला शांत करण्याच्या इच्छेने अ टाल लागली. / / 570 / / English :- When the Queen Pushadanti heard about this sad plight, she broke down and shed out tears which seemed that she was washing away the fire filled with the wondering forlong faces of her daughter and son-in-law, with her over flowing sadness. death