________________ BAADSwarisandesawarasenarasRGAS श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्राम् BASARSUSAng@goveswwRG दीन: स्तेनोऽपिता नत्वा-ऽवादीत् त्रायस्व देवि माम्॥ शरणं त्वां प्रपन्नोऽस्मि, शरणागतवत्सले॥५३॥ अन्वय :- दीन: स्तेन: अपि तां नत्वा अवादीत् हे शरणागतवत्सले देवि / त्वां शरणं प्रपन्नोऽस्मिा मांत्रायस्व // 53 // विवरणम् :- दीन: विकल: स्तेन: चौरः अपि तां दमयन्तीं नत्वा प्रणम्य अवादीत अववत् - शरणम् आगतः शरणागतः। शरणागते वत्सलाशरणागतवत्सला, तत्सम्बुद्धौ हे शरणागतवत्सले देवि त्यां शरणं प्रपन्नः प्रातः अस्मिा मांत्रायस्व रक्ष॥५३॥ सरलार्य :- व्याकुल: चौरः अपि तां दमयन्ती वन्दित्वा अवदत्-हे शरणागतवत्सले देवि। त्वां शरणं प्राप्तः अस्मिा मां रक्षा॥५३४|| ગુજરાતી:- પછીદૈન્યપણાને પ્રાપ્ત થયેલો ચોર પણ તેણીને નમીને વિનંતી કરવા લાગ્યો કે, હે દેવી! તમો ખાઈ રણ કરો હે. શરણે આવેલાનું રક્ષણ કરનારી દેવી! હું તમારે શરણે આવેલો છું. પ૩૪ 湾呢编编编编騙騙騙騙騙騙騙騙 हिन्दी:- फिर दीन होकर चोर भी उसके सामने झुक कर प्रार्थना करने लगा, "हे देवि! आप मेरा रक्षण करो। हे शरण में आये हुए प्राणी का रक्षण करनेवाली देवी। मैं आपके शरण में आया हूँ।"॥५३४॥ . State मराठी:- नंतर दीन होऊन चोरसुखा तिला वन्दन करून म्हणाला."हे आश्रयाला आलेल्यांचे रक्षण करणान्या देवी। मौआपल्याला शरण आलो आहे." माझे रक्षण करा. // 534|| glish:- Then the robber turning indigent and forlorn begged to Damyanti to protect him and to harbour him by placing her auspicious refuge on him. hwat NAATEWAwarent