________________ MMENDENORRRRIORARANASPREPARA SAUTOutaururtenerature .... पृष्टा देव्याथ कासि त्वं, भैम्यवोचणिक्सुता। पत्या त्यक्ता महारण्ये, मात: सैषास्म्यपुण्यका // 22 // अन्वय:- अथ देव्या पृष्टा त्वं कासि? भैमी अवोचत्-हे मात: सा एवा अपुण्यका महारण्ये पत्या त्यक्ता वणिकसुता अस्मि // 522 // विवरणम् :- अथ देव्याचन्द्रयशसा पृष्टा त्वं का असि भीमस्य अपत्यं खी भैमी दमयन्ती अवोचत् अवदत्-हे मात: साएषान विद्यते पुण्यं यस्याः सा अपुण्यका पुण्यरहितामहवच तद् अरण्यं च महारण्यं तस्मिन् महारण्ये पत्या त्यक्ता मुक्तावणिज: सुता वणिकसुता अस्मिा / 522 // EA सरलार्य :- अव देव्या पृष्टा त्वे का असिर दमयन्ती अवदत् हे मातः। सा एषा पुण्यरहिता महारण्ये पत्या त्यक्ता वणिजः तनया अस्मि // 52 // ગજરાતી:- પછીતે રાણીએ તેણીને પૂછયું કે “કોણ છે?” તારે દમયંતીએ કહ્યું કે, હું એક વણિકપુત્રી છું, તથા હે માતાજી ભરથારે મને જંગલમાં તજી દીધી છે, અને તેથી હું પુરુયરહિત થયેલી છું.પરચા हिन्दी :- तबरानीने उससे पूछा कि, "तुम कौन हो?" तब दमयंतीने कहा कि, मैं एक वणिकपुत्री हूँ और हे माताजी। मेरे पति ने मुझे जंगल में छोड दिया है। इसलिए मैं पुण्यरहित हूँ॥५२२॥ र मराठी :- जेव्हा राणीने तिला विचारले की, "त् कोण आहेस?" तेव्हा दमयंती म्हणाली, "हे माते। मी पतीने महारण्यात मोहन दिलेली एक अभागिनी वाण्याची मुलगी आहे."॥५२२।। English:- Then the queen asked her to place her identity. Then Damyanti answered that she was a daughter of a grocer and was deserted by her husband in the forest, as she had no marits to vouch for her. שהתפרפרפיתניתכתש רב תכרב-מי--כיפתכ תכיר תניא