________________ OHORIGARRANBARIANBole श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRISResuvadiseaserasn a तां चन्द्रयशसं देवी, विलोक्य दमयन्त्यपि। स्वमातरमिव स्नेहात्, परमां प्रीतिमासवत् // 519 // अन्वय :- दमयन्ती अपि स्वमातरम् श्व ता चन्द्रयशसं देवीं विलोक्य स्नेहात् परमां प्रीतिम् आसदत् // 519 // विवरणम:- दमयन्ती अपि स्वस्य माता जननी स्वमाता तां स्वमातरम् इव तां चन्द्रयशसं देवीं विलोक्य दृष्टवा स्नेहात स्नेहवाशा परमां श्रेष्ठां प्रीतिम् आसदत् प्रापत् // 519 // सरलार्थ :- दमयन्ती अपि स्वजननीम् इव तां चन्द्रयशसं देवीं निरीक्ष्य स्नेहवशात् परमां प्रीतिं प्रापत्॥५१९॥ ગજરાતી:- દમયંતી પણ તે ચંદ્રયશારાણીને જોઈને સ્નેહને લીધે પોતાની માતાની પેઠે જાણી તેમના તરફ અત્યંત પ્રેમવાળી થઈ. I519o. हिन्दी :- दमयंती भी अपनी माता के समान चंद्रयशा रानी को देखकर अत्यंत प्रेमाई हुई।५१९॥ मराठी:- आपल्या मातेप्रमाणे त्या चन्द्रवशा राणीला पाह्न दमयन्तीलाही प्रेमाने अतिशय आनंद झाला. // 519|| English:- Damyanti when placed her eyes on Queen Chandrayasha, she was filled with feeling of affection and tenderness when she placed the Queen as a mother. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust