________________ AHARArmeshwarPERIANDESH श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SERadresserestoredwasnasenes देवी परमपश्यत्तामादितोऽपि सुतामिव // . मन: प्राग्जन्मसम्बन्धे-ऽप्यभिज्ञं किम् नैहिके // 718 // अन्वय:- परम् देवी आदित: अपि तां सुताम् इव अपश्यत्। मन: प्राग्जन्मसम्बन्धे अपि अभिज्ञं वर्तते ऐहिके किमुन? // 518 // विवरणम् :- परम किन्तु देवी चन्द्रयशा आदित: प्रथमत: अपि तां दमयन्ती सुताम् तनयाम् इव अपश्यत् अवालोकयत् / मन: हृदयं प्राग च तद जन्मच प्राग्जन्म / प्राग्जन्मन: सम्बन्ध: प्राग्जन्मसम्बन्धः तस्मिन् प्राग्जन्मसम्बन्धे अपि अभिजानाति इत्यभिज्ञं वर्तते। इह भवम् ऐहिकं तस्मिन् ऐहिके किमु वक्तव्यम् // 518 // सरलार्थ :- किन्तु देवी चन्द्रयशाः प्रथमतः अपि तां दमयन्ती तनदाम् इव अपश्यत् / मनः प्राग्जन्मसम्बन्धे अपि अभिज्ञं वर्तते इह ऐहिके किमु न भवेत् // 518 // ગુજરાતી :- પરંતુ ચંદ્રયશા રાણી તેણીને પ્રથમથી જ પુત્રીની પેઠે જોવા લાગી, કેમ કે પૂર્વભવના સંબંધમાં પણ જ્યારે મન સાક્ષીભૂત થાય છે, તો પછી આ ભવના સંબંધમાં તે કેમ સાક્ષીભૂત ન થાય? 518 हिन्दी :- परंतु चंद्रयशा रानी उसको पहली बार में ही बेटी समान देखने लगी, क्योंकि पूर्व भव के संबंध के बारे में मन जब साक्षीभूत होता है तो इस भव के संबंध में वह साक्षीभूत क्यों न होगा? / / 518 // मराठी :- परंतु चंद्रयशा राणी तिला पहिल्या पासूनच मुलीप्रमाणे पाहू लागली. कारण मन पूर्वजन्मातील संबंधाबदल जाणकार असते. तर मग या जन्मातील संबंधाबदल जाणकार का नसेल?||५१८|| English :- But queen Chandrayasha began to look at Damyanti as a daughter at first sight only. If one happens to see one of his/her past life, his feelings for him will be according to his relationship of his past life. But Damyanti happens to meet her aunt of this very life, so naturally feelings of love will surely emerge and swell. B EFFESSES NUARAaena