________________ reORTANTRABORATRA श्रीजयशेश्वरसूरिविरचितं श्रीनगदमयन्तीचरित्र BRANPORNSTRIANSKRRISHTRANSAPNA भागिनेय्यस्ति भैमीति, वेत्ति चन्द्रयशा: पुनः।। सकृत् बाल्ये च दृष्टेति, नोपलक्षयितुं क्षमा॥५१७॥ 5 अन्वय:- भैमी इति मे भागिनेयी अस्ति इति चन्द्रयशा: वेत्तिा पुन: बाल्ये सकृत् दृष्टा इति उपलक्षयितुं न क्षमा॥५१७॥ विवरणम् :- भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी इति एवं मे मम भगिन्या: अपत्यं स्त्रीभागिनेयीभगिनीसुता अस्ति इति एवं चन्द्रयशा: वेत्ति . जानाति पुन: किन्तु बाल्ये सकृद एकवारं दृष्टा अवलोकिता अत: उपलक्षयितुं नक्षमा न समर्था॥५१७॥ सरलार्य :- दमयन्ती इति मम भागिनेवी अस्ति एवं चन्द्रवशा: बोपति किन्तु बाल्ये एकवार अवलोकिता इति उपलक्षवितुं न क्षमा // 17 // ગુજરાતી-વળી દમયંતીનામનીબારીબહેનની દીકરી (ભાણેજી) છે, એમ ચંદ્રયથા જાણે છે, પરંતુ બાલ્યાવસ્થામાં તેણીને એક વખત જ જોયેલી હોવાથી, તે તેને ઓળખી શકી નહીં. ૫૧થા हिन्दी:- दमयन्तीमा दमयन्ती नामक मेरी बहन की लडकी (भान्जी) है, ऐसाचंद्रयशा जानती है परंतु बाल्यावस्था में उसे एक बार ही देखा था। इसलिये उसे पहचान नही पायी। // 517|| ठी :- दमयंती नावाची माझ्या बहिणीची मुलगी आहे ही गोष्ट चंद्रयशेला माहित आहे परंतु लहानपणी तिला एकदाच पाहिल्यामुळे ओळखू शकली नाही.॥५१७|| Ro English :- Even the queen, just knew that a daughter named Damyanti was born to her sister Pushpavati. but still did not recogonise her as she had seen her only once when Damyanti was a child. 炒凱听听听听听听听听听听听听听听听听 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust