________________ PREPARINEERABHARASHTRA श्रीनगरोग्बग्गनिगिनितं श्रीनगममगन्तीचरित्रम GRANTARRINEETABURNBRIPANYA 勃呢呢呢呢呢呢统呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢 भैमी केवलमस्त्रौघ-मौज्झन् दुःकर्मवत्तदा॥ कुलीनापत्तिवत्कर्म, परिलुम्पन्ति सर्वदा॥५०॥ अन्वय :- तदा भैमी केवलं दु:कर्मवत् असौधम् औज्झत् / कुलीना: सर्वदा आपत्तिवत् कर्म परिलुम्पन्ति // 505 // विवरणम् :- तदा तस्मिन् समये भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती केवलं दुष्टं च तद् कर्म च दु:कर्म इव अश्रूणाम् ओघ: समूहः असौषः तम् असौघम् औज्झत् अत्यजत् / कुलीना: सर्वदा सर्वस्मिन् समये आपत्तिः इव कर्म परिलम्पन्ति // 50 // सरलार्य :- तदा दमयन्ती केवलं दुष्टं कर्म इव अश्रुसम्हम् अत्यजत् कुलीनाः सर्वदा आपत्तिवत् कर्म परिलुम्पन्ति / / 505 / / ગુજરાતી:-તે વખતે દમયંતીકેવળ (પોતાના) દુષ્કર્મો માટે આંસુ સારતી હતી કેમ કે કુલીન સી હમેશાં આપત્તિના સમયે સહન કરીને કર્મોનો પણ નાશ કરે છે.૫૦પા हिन्दी :- उस वक्त दमयंती केवल अपने दुष्कर्मो के लिये आंसु बहा रही थी क्योंकि कुलीन स्त्री हमेशा आपत्ति सहकर दुष्कर्मों का भी नाश करती है।५०५॥ मराठी :- त्या वेळी दमयंती फक्त आपल्या दुष्कर्मासाठीच अश्रु ढाळीत होती कारण कुलीन स्त्रिया नेहमीच आपत्ति सहन करून दुष्कर्माचा पण नाश करतात.॥५०५|| English :- At this time Damyanti was sheding tears by recollecting her wicked sins, because a lady from an aristrocratic and a noble descency will destroy her wicked sins by bearing up all calamitous perils. PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust