________________ ORRORiewsABPSurengue श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् AwasenarendrAssodressorsh तत्र स्थित्वा सुखं भैमी, प्रसुप्ता विधिवन्निशि // परमेष्ठिमहामन्त्रं पठन्तं कश्चनाशृणोत् // 10 // अन्यय :- तत्र भैमी सुखं स्थित्वा निशि प्रसुप्ता विधिवत् परमेष्ठिमहामन्त्रं पठन्तं कश्चन अशणोत // 49 // विवरणम् :- तत्र तस्मिन् सार्थे भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती सुखं स्थित्वा निशि रात्रौ प्रसुप्ता विधिवद यथाविधि परमेष्ठिनामहदादीनां महान् चासौ मन्त्रश्वमहामन्त्र: तं महामन्त्रं परमेष्ठिमहामन्त्रं नमस्कारमहामन्त्रं पठन्त भणन्तं कश्चन अशृणोत शुश्राव।।४९०॥ सरलार्य :- तस्मिन् साथै दमयन्ती सुरखं स्थित्वा रात्री प्रसुप्ता विधिवत् परमेष्ठिमहामन्त्रं पठन्तं कश्चन अशृणोत् / / 490 / / ગુજરાતી :- ત્યાં સુખેથી રહીને દમયંતી રાત્રિએ વિધિપૂર્વક સૂતેલી છે, એવામાં પંચપરમેષ્ઠિના મહામંત્રનો પાઠ કરના એવા કોઇક માણસને તેણીએ સાંભળ્યો.૪૯૦ हिन्दी :-वहाँ दमयंती रात को विधिपूर्वक सुखरुप सोई है, तभी पंचपरमेष्ठि महामंत्र का पाठ करते हुए किसी आदमी को उसने सुना // 490 / 她听骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗微 मराठी :- तेथे सुखाने राहन दमयंती रात्री विधिपूर्वक झोपली. इतक्यात कोणीतरी मनुष्य पंचपरमेठी महामंत्राचा पाठ करीत होता. तो तिने ऐकला.||४९०।। English - Then Damyanti lied down to rest with utmost bliss, when she suddenly heard a man saying the sacred Navkar Mantra with great devotion and veneration. .