________________ SIAMGrshannersea s es जिया शेजारसूरिविरचितं श्रीनल्लष्पयन्तीछारिन BAHARANPURTHERNRAINRITESeleg स्नेहल: साऽथ तां पुत्रीमिवाध्यारोप्य वाहने। चचालास्थाश्च मध्याले, कुंजे निर्धारिणि कचित् // 489 // अन्वय:- अथ स: स्नेहल: तां पुत्रीम् इव वाहने अध्यारोप्य बचाल। मध्याह्ने क्वचित् निरिणि कुजे अस्थात् // 48 // विवरणम् :- अथ स: धनदेव: सार्थप: स्नेहल: स्नेहयुक्त; तांदमयन्ती पुत्रीम् इव वाहने अध्यारोप्य आरोप्य चचाल अचलत् / आल: मध्यं मध्यालः तस्मिन् मध्याले क्वचित निर्झर जलस्त्रोत: अस्मिन् अस्तीति निझरी, तस्मिन् निझरिणि कुजेलतामण्डपे अस्थात् अतिष्ठत् // 489 // सरलार्य :- अवस: पनदेवसार्थपः स्नेहल: तां दमयन्ती पुत्रीम् इव वाहने आरोप्य अचलत्। मध्याहने कचित् निर्झरिणि कुछ अतिष्ठत् // 489 // ગુજરાતી:- પછીતે નેહવાળો સાર્થપતિ પુત્રીની પેઠે તે દમયંતીને વાહન પર બેસાડીને ત્યાંથી ચાલવા લાગ્યો, તથા મધ્યાહ સમયે તેણે ઝરાણાવાળી વૃક્ષોની ઘટામાં પડાવ નાખો.i૪૮૯ हिन्दी :- फिर वह स्नेहवाला सार्थपति पुत्रीसमान उस दमयंती को वाहन पर बैठाकर वहाँ से चलने लगा और दोपहर के समय में उसने पानी के झरनेवाली वृक्षोकी घटामें पडाव डाला // 489 // मराठी :- मग तो प्रेमळ सार्थपती मुलीसमान दमयंतीला वाहनात बसवून तेवून चालू लागला. तेव्हा दुपारच्या वेळी त्याने पाण्याचा झरा असलेल्या लतामंडपात मुक्काम केला. // 489 // English - Then this affectionate and caring chief, took great care of Damyanti who was like a daughter to him and making her sit in the cart, set off. When it was noon they stooped to rest in a spring grove and put up a bivouac (camp). P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust