________________ SAGAndros श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRISHUBRUAROO ततस्तां निर्जला वीक्ष्य, मरुभूमिसखीमिय। अतीवावन्ययाऽशान्ता, तापक्लान्ताब्रवीदिवम्॥१७६॥ अन्वय:- ततः तां निर्जला मरुधूमिसखीम् इव वीक्ष्य उदन्यया अतीव अशान्ता तापक्लान्ता इवम् अब्रवीत् // 476 // विवरणम् :- ततः तदनन्तरं तां नवीं निर्गतं जलं यस्याः सा निर्जला तां निर्जलां जलरहितां मरुभूम्या: सखी मरुभूमिसखी तो मरुभूमिसखीमश्ववीक्ष्य निरीक्ष्य उदन्यया तृषया अतीवनशान्ता अशान्ता, तापेनऊष्मणाक्लान्ताखेवितातापक्लान्ता वम् अखवीत् / / 476 // REETE SEEEEEEEEEEEEEEE सरलार्य :- तदनन्तरं तां नदी जलरहितां मरुभूमिसखीम् इव वीक्ष्य तृपया अतीव अशान्ता तापक्लान्ता इदम् अवदत् // 47 // ગુજરાતી:- પછી મરભૂમિ જેવી તે નદીને જલરહિત જોઈને, અતિશય તૃષાતુર તથા ગભરાયેલી અને તાપથી વ્યાકુળ થયેલી अलीबासी),॥४७॥ हिन्दी:. फिर मरुभूमि की सहेली समान उसनदी कोजलरहित देखकर, अत्यंत तृषातुर व घबरायी, और तापसे व्याकुल दमयन्ती कहने लगी कि, // 476|| मराठी:- नंतर जणू मरुभूमीच्या मैत्रिणीप्रमाणे जलरहित कोरडवा ठणठणीत त्या नदीला पाहल तहानेने अत्यंत बेचैन झालेली व उन्हाने व्याकुळ झालेली दमवंती असे म्हणाली-11४७६॥ मराठी :- ताजणाकुलम English - Then she took the dry sandy plain as a friend and her throat was parched due to thirst and was overcome with fright and was exhausted due to the afflicting heat.