________________ ROSCRoorvedase श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् SRPRABd o ततों दुःखसहायासौ, याति तिष्ठति मूर्छति। रोदिति प्रलपत्युच्चैर्विषीदति निषीवति // 466 // अन्वय:- ततः पुःखसहाया असी याति तिष्ठति मूर्धति रोविति उच्चैः प्रलपति विषीपति निषीपति // 466 // विवरणम् :- ततः तदनन्तरं :खे सहाया दु:खसहाया असौ दमयन्ती यातिगच्छति तिष्ठति मूर्छति मूच्छा प्राप्नति / रोविति रोवन करोति। उच्चैः प्रलापं करोति प्रलपति। विषीवति खिद्यते निषीवति उपविशति॥४६६॥ SomalisEFBEAFFEEFESSFET सरलार्य :- तदनन्तरं दावसहावा असौ दमयन्ती गच्छति तिष्ठति रोदनं करोति उच्चैः प्रतपनं करोति वियते उपविशति // 46 // ગુજરાતી - તેથી ફક્ત દુ:ખથી જ ઘેરાયેલી તે દમયંતી (તે અરણ્યમાં) ચાલે છે, ઊભી રહે છે, મૂછ પાણે છે, રડે છે, મોટેથી विवाछ, विप पारेछ, ताशी छे.॥४६॥ हिन्दी :- ऐसे केवल दुःख से घिरी वह दमयंती (उस अरण्यमें) चलती है; खडी रहती है, मूर्छा पाती है, रोती है, विलाप करती है, विषाद पाती है और बैठ जाती है। ||466|| मरोठी:- अशा कैवक दरवाच्या सहाय्याने ती दमयंती (त्या अरण्यात) चालू लागली, उभी राहू लागली, बेभान झाली, रह लागली, विलाप करु लागली, विषाद पाऊ लागली तसेच बसून गेली. // 46 // English: Then Damyanti was overcome with utmost grief and began walking about of stood to identify thedirection or at times lost her conciousness, then after regalning her consciousness began weeping, and bewalled about it and overcome with melancholy and bad sprits sat down with feelings of gloom and sorrow.. . ....... BENEFFFFFFFFFFFFFFFFF