________________ O smsuSAPNBAROSARORA श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् BedesesearSARASANSAR इति ध्यात्वा निवृत्तापि, तत्र मार्गमजानती॥ पारावार इवापारे, कान्तारे निपपात सा॥४६५॥ अन्वय:- इति ध्यात्वा निवृत्ताऽपि तत्र मार्गम् अजानती अपारे पारावारे इव कान्तारे सा निपपात // 46 // विवरणम् :- इति एवं ध्यात्वा विचार्य निवृत्ता अपि तत्र मार्ग पन्थानं न जानती अजानती, न विद्यते पारः यस्य सः अपारः तस्मिन् अपारे पारावारे समुद्रे इव अपारे कान्तारे वने सा निपपात अपतत् // 46 // सरलार्य :- इति एवं विचार्य निवृत्ता अपि तत्र मार्गम् अजानती सा अपारे समुद्रे इव अपारे कानने अपप्सत् / / 465|| necx69 . ગજરાતી:- એમ વિચારીને પાછીતો વળી, પરંતુ ત્યાં જવાના માર્ગને નહીં જાણવાથી મહાસાગરની પેઠે જેનો પાર ન આવે, એવા અરણ્યમાં તે ભૂલી પડી.i૪૬પા हिन्दी.. ऐसासोचकर वह वापीसगयी. लेकिन वहाँ जाने के रास्ते को पहचाननसकी और महासागर के समान जिसका पार नही आता ऐसे वन में भटक गयी // 465| मराठी : असा विचार करून ती माघारी फिरली. परंतु रस्ता माहित नसल्यामुळे ती महासागराप्रमाणे अपार अरण्यात घेऊन पहली.।।४६५॥ 10 English - Then having decided, she turned towards her hermitage, but in no time, lost her way and just as a man cannot cross an ocean, in the same way she got lost and couldn't find her way back to the hermitage. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust