________________ शब्दमानं विनि:क्षिप्य, भूतवच्छलनाय सः॥ पान्थस्तिरोदधे भैमी- स्थानत्यजनलग्नकः // 46 // हास्यय:- भूतवच्छलनाथ शब्दमानं विनिक्षिप्य स: पान्थ: भैमीस्थानत्याजनलग्नक: तिरोदधे // 462 // वरणम् :- भूतेन तुल्यं भूतवत् / च्छलनाय वञ्चनाय शब्द एव शब्दमानं विनिक्षिप्य स: पान्थ: भीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी दमयन्ती। स्थानस्यत्यजनंस्थानत्यजनं, भैभ्या: स्थानत्यजनं भैमीस्थानन्यजनं भैमीस्थानत्यजनेलग्रक: भैमीस्थानत्यजनलग्नकः तिरोदधे अन्तर्दधे // 462 // . ॐ सरलार्थ :- स: पाल्य भैमी वश्चयितुं केवलं शब्दान् विनिक्षिप्य भूत इव दमयन्तीस्थानत्यागे लाः अन्तर्दपे / 2 ગુજરાતી - એવી રીતે દમયંતીને છેતરવા માટે ફક્ત ભૂતની પેઠે શબ્દ બોલીને જતે મુસાફર જાણે દમયંતીને તે સ્થાન છોડાવવા માટે ઉત્સુક થયો હોય તેમ લાંથી) અદ્દશ્ય થઈ ગયો. 462 SPEEEEEE दी :- उस प्रकार दमयंती को सताने के लिये केवल भूत की तरह शब्द कहकर, वह मुसाफिर मानो दमयंती को उस स्थान को छुडाने के लिये उत्सुक हो / वैसे (वहाँ से) अद्दश्य हो गया // 462 // 卐मराठी:- अशा रीतीने दमयंतीला ठगविण्यासाठीच केवळ भूतासारखे शब्द बोलून तो वाटसरु जणु दमयंतीच्या त्या स्थळाला सोहून जाण्यासाठी उत्सुक होऊन तेथून अश्य झाला. // 462|| English - Then in this way the man had come to harass Damyanti, by making her mind tilt towards the worldly life (when she was like a nun) and tempted her to think about her long lost husband and then suddenly dissappeared. PalaesmaratSarswapsusarsawantwadar[ 126u rseaseedesesurviversertworks