________________ PlegesaursandeshievemeV श्रीमयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् NHANARTHATANAMANARTHANAADAR कासौक्कासौ महाभागः, प्रियवा निवेदकः॥ दमयन्ती वदन्ती च, पश्यन्ती च दिशोऽखिलाः॥४६॥ अन्यय:- असौ प्रियवार्तानिवेदक: गहाभाग: क इति वदन्ती अखिला: दिश: पश्यन्ती च दमयन्ती॥४६॥ विवरणम:- प्रियस्य वार्ता प्रियवार्ता। प्रियवार्तायाः निवेदक: प्रियावानिवेदक: महान् भाग: यस्य सः महाभाग: असौ पान्थः क्व असौ पान्थः क इति वदन्ती भणन्ती, अखिलाः सर्वाः विश: पश्यन्ती अवलोकयन्ती दमयन्ती॥४६॥ सरलार्य :- प्रियवानिवेदक: महाभागः असौ व असौक, इति वदन्ती अरिवला: दिश: पश्यन्ती च दमयन्ती / / 460 // ગુજરાતી:- મારા સ્વામીના સમાચાર નિવેદન કરનારો, તે મહાભાગ્યશાળી પુરુષ ક્યાં ગયો? કયાં ગયો? એમ બોલતી, તથા સઘળી દિશા તરફ ખેતી, 46o. हिन्दी :- मेरे स्वामी का समाचार निवेदन करनेवाला वह महाभाग्यशाली आदमी कहाँ गया ? कहाँ गया ? ऐसा कहते हुए सब दिशाओं की ओर देखती थी। // 460 // मराठी:- माझ्या स्वामीची बातमी देणारा तो, महाभाग्यवान पुरुष कुठे गेला। कुठे गेला। असे म्हणत ती सगळ्या दिशेकडे पाहू लागली. // 46 // English :- And she at once began to look in all directions and asked as to where the fortunate man has gone who had bought the good news of her husband. Post