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________________ BAR BARB00 MOSTAASANITATAबीमयशेखरसूरिविरचितं श्रीमलषमवन्तीचरित्र मोडणितं धार्मामाका, लाघुकर्म तथाग्रहीत् // ताल्लाथान्यानुष्यं जन्मा, कृतकृत्थामामान्यत॥३९४॥ अन्वय: स: अपि तं धर्म आकर्ण्य लघुष्कर्मतच्या आग्रहीता ताल्लामात् भानुष जन्या कृतकृत्याय आमन्यात // 39 // विवरणम् :- स: वसन्तसार्थवाह: अपिलव्य अहधर्म आका निशम्य लघुनि कर्माणियस्य सा: लघुकर्या लघुकर्मणः भाषा: लघुकर्मता तया लघुकर्मतया अग्रहीत् जगाहा तस्य धर्षस्य लाभ: तल्लाम: तस्यात् तल्लाधात् मनुषस्य इदं यानुषं जन्म कृतं कृत्यं येन तत् कृतकृत्यम् अमन्यत॥३९॥ सरलार्य :- सः बसन्तसार्यवाह: अपि तं धर्म निशम्य लयुकर्मतया अग्रहीत्। धर्मस्व लाभात् मानुषं जन्म कृतकृत्यम् अमन्याता // 39 // ગતી :- પછીથકમ એવા સંત સ્વાર્થવાહે જૈન ધર્મ સાંભળીને તેનો સ્વીકાર કર્યો, નાથાને ધર્મની પ્રદક્ષિથી પોતાના ધનુષ भने माना // 360 हिन्दी:. फिर वसंत सार्थवाह भी लघु कर्मी जीव होने से (खुद के लघु कर्म होने से) जैनधर्म को सुनकर उसे स्वीकार किया और उस धर्म की प्राप्ति होने से मनुष्य जन्म को सफल मानने लगा // 394 // मराठी:- नंतर वसंतसार्थवाहाने लघुकर्मी असल्यामुळे जिनेश्वर भगवन्ताचा धर्म स्वीकार केला व शुद्ध धर्माचा लाभ झाल्यामुळे आपला मनुष्य जन्म सफल झाला. असे तो मान लागला. ||394|| English - Then the campers felt that probably they had less sins, so they had got the oppourtunity to understand the jain religion. They then accepted this jain religion and felt that they had done an auspicious deed in doing so.
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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