________________ ORRO vedegree श्रीजयशेग्वग्मृरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम PRAPTAPA gitation FFER सार्थवाहोऽपि सार्थान्त-स्तामप्रेक्ष्य महासतीम् // विश्वग्गवेषयन्नागात्, तत्रैव गिरिकन्दरे॥३७७॥ 卐 अन्वय :- सार्थवाह: अपि तां महासतीं सार्थान्त: अप्रेक्ष्य विश्वग्गवेषयन् तत्र एव गिरिकन्दरे आगात् // 377 / / वरणम् :- सार्थ वहति इति सार्थवाह: अपि तां महती चासौ सती च महासती तां महासती दमयन्तीं सार्थस्य अन्त: सार्थान्त: न प्रेक्ष्य अप्रेक्ष्य अनवलोक्य विश्वक आसमन्तात् सर्वत: गवेषयन शोधयन् तत्र एव गिरेः कन्दरः गिरिकन्दरः तस्मिन गिरिकन्दरे आगात् आगच्छत् // 377 // सरलार्थ :- सार्थवाहः अपि तां महासतीं दमयन्तीं सान्ति : अनवलोक्य सर्वत: गवेषवन् तत्र एव गिरिकन्दरे आगच्छत् / / 377|| ગુજરાતી:- પછી સાર્થવાહ પણ પોતાના પડાવમાં મહાસતી દમયંતીને નહીં જોતાં, તેને શોધતો શોધતો પર્વતમાં રહેલી તે ગુફા पासे भावी यो.॥30॥ हिन्दी :- फिर सार्थवाह भी अपने सार्थ में उस महासती दमयंती को न देखकर सभी जगह पर उसे तलाश करता हुआ पर्वत में स्थित उसी गुफा के पास आ पहुँचा // 377 // 3 मराठी :- नंतर सार्थवाह पण आपल्या सार्थाच्या आत त्या महासती दमयंतीला न पाहिल्यामुळे सर्व दर शोषत शोषत त्याच पर्वताच्या गुहेजवळ आला. 1309| English: The chef of the encampment was tensed and worried as Damyanti was nowhere to be found. Taking out a search party, in order to track her down, he ultimetly tracked her in the cave which was encaved in the mountain. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust