________________ their kesenis sensussuduvansrisers श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तीचरित्रम् NARAYASANTarseasesaHARASNAg भैमी बिम्बं ततः शान्ते:, स्वयं निर्माय मृण्मयम्॥ त्रिसन्ध्यं पूजयामास, वनगैः कुसुमैः स्वयम् // 376 / / पर अन्वय :- तत: भैमी स्वयं मृण्मयं शान्ते: बिम्बं निर्माय वनगै: कुसुमैः स्वयं त्रिसन्ध्यं पूजयामास // 376 // विवरणम :- तत: तदनन्तरंभीमस्य अपत्यं स्त्री भैमी स्वयं मृदः विकार: मृण्मयं शान्त:शान्तिनायस्य बिम्ब प्रतिमा निर्माय विरचय्य वनगैः वन्यैः कुसुमैः पुष्पैः स्वयं तिसृणां सन्ध्यानां समाहार: त्रिसन्ध्यं त्रिकालं त्रिवेलं पूजयामास अपूजयत् // 376 / / सरलार्थ :- तदनन्तरं दमयन्ती स्वयं मृत्तिकामयी शान्तिनाथस्य प्रतिमां रचयित्वा वनगैः कुसुमैः स्वयं त्रिसन्ध्यं अप्जयत् / / 376 / / જરાતી:- પછી દમયંતી (સા) પોતાને હાથે માટીની શ્રી શાંતિનાથ પ્રભુની પ્રતિમા બનાવી, વનમાં ઉગતાં પુષ્પો વડે પોતે ત્રિકાલ તેની પૂજા કરવા લાગી. 376o. हिन्दी :- फिर दमयंती ने वहां पर हाथों से मिट्टी की श्री शांतिनाथ प्रभु की प्रतिमा बनाई, वन के फूलों से त्रिकाल उस प्रतिमा की पूजा करने लगी।।३७६|| जमराठी :- नंतर दमयंती स्वत:च्या हातानी मातीची श्री शांतिनाथ प्रभूची प्रतिमा बनवून, जंगलात उमलणाऱ्या फुलांनी त्या प्रतिमेची त्रिकाल पूजा करू लागली. // 376 / / * English: Then Damyanti prepared an idol of Lord Shantinath with her own hands, out of mud. She then adorned it with bloomed flowers from teh jungle and worshipped it three times a day. -CHHIViindertionate