________________ O PARANAPRASANSARPRASARAM श्रीजयशेखरसूरिविरचितं श्रीनलदमयन्तींचरित्रम् SRIRRIANRARASHTRANSARSBIdeas किंचाहं दुःखमोक्षाय, दुःखार्ता प्रार्थये मृतिम्॥ श्रीजर मन मापीर पैन माता त्वं मां नलवियोगाग्निदग्धांगी भोक्ष्यसे सुखम् // 362 // " लील लिव-5825EE अन्वय:- किश्चनलवियोगाग्निदग्धाङ्गी दुःखार्ता अहं दुःखमोक्षाय मृति प्रार्थये / त्वं मां सुखं भोक्ष्यसे // 362 // विवरणम:- किचनलस्य वियोग: नलवियोगः। नलवियोग: एव अग्निः नलवियोगाग्निः। नलवियोगाग्निना दग्धम् अहं यस्याः साहू नलवियोगाग्निदग्धाजी, दुःखेन आर्ता पीडिता दुःखार्ता अहं दु:खात् मोक्ष: मुक्ति: दु:खमोक्षः तस्मै दु:खमोक्षाय मूर्ति मरणं प्रार्थये विज्ञापये। त्वं मां सुखं भोक्ष्यसे // 362 // सरलार्थ :- किञ्च नलवियोगामिदग्यानी दुःखपीडिता अहं दुःखमोक्षाव मरणं प्रार्थये त्वं मां सुखं भोक्ष्यसे // 36 // ગુજરાતી:- વળી દુ:ખથી પીડાયેલી હું, દુઃખમાંથી છૂટવા માટે મરણની જ ઇચ્છા કરું છું તેમજ નલરાજના વિયોગરૂપી અગિથી બળી ગયેલા શરીરવાળી એવી મને તું સુખેથી ભક્ષણ કરી શકીશ, 362 हिन्दी :- और मैं दु:ख से पीडित होने के कारण दु:खों से छुटकारा पाने के लिए मरने की ही इच्छा कर रही है, नलराजा की वियोगाग्नि से मेरा शरीर जल रहा है इसलिए तू मेरा खुशी से भोजन कर सकते हो। // 362 // मराठी:- नलराजाच्या विरहरूपी अळीने माझे शरीर होरपन गेले आहे. मी दुःखाने पीति असल्यामुळे दुःखातून सुटण्यासाठी मरण्याची इच्छा करीत आहे. म्हणून त् मला सुखाने भक्षण करू शकशील.॥३६२|| English: So she says that she wishes to run away from woe and sadness and so she wishes to die as she is burning with woe as her husband King Nal has forcefully seperated himself from her so she asks him to devour her up. न ELESE SEEEEEEEEEEEEEE न ना PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust