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________________ LOKGetestrusterasendressies श्रीजयशेखरसारिविरचिती श्रीनलदमयन्तीप्चरित्रमा resulesteraseshitawenary मराठी :- मग दमयंतीने पण त्या सार्थवाहाला स्वत:चा सहोदर भाऊ मान्न, जन्मापासूनचा आपला सगळा वृत्तांत सांगितला. // 345 / / English - Then Damyanti too taking the Chef Vasant as her uterine brother, narrated her whole biography from her birth to her present situation. सोऽवदेहवि मे पूज्या, त्वम् मातेव स्वसेव च। भैमीति नलपत्नीति, धार्मिकीति सतीति च // 346 // अन्वय:- सः अवदत् हे देवि | त्वम् भैमी इति नलपत्नी इति धार्मिकी इति सतीइतिचमाता इव स्वसा श्व मे पूज्या असि॥३४६॥ विवरणम् :- स: वसन्त: सार्थपतिः अवदत् उवाद-हे देवि त्वम् भीमस्य अपत्यम् स्त्री भैमी इति, नलस्य पत्नी नलपत्नी इति, धर्मम् आचरति इति धार्मिकी इति, सती इति शीलवती इति, च माता इव जननी इव स्वसा इव भगिनी इव मे मम पूज्या अर्चनीया असि॥३४६॥ सरलार्य :- वसन्तसार्थपतिः अवदत् - हे देवि! त्वम् भीमरथनृपस्य तनया असि इति नलनृपस्व पत्नी इति, पर्मिकी इति, शीलवती इति, जननी इव भगिनी इव मम पूजनीवा असि // 346 // .... ગુજરાતી:- ત્યારે તે સાર્થપતિએ કહ્યું કે, હે દેવી! તુ ભીમરાજાની પુત્રી, નલરાજની પત્ની, ધર્મવતી તથા સતી હોવાથી માતાની પેઠે તથા બહેનની પેઠે મને પૂજવા યોગ્ય છે.al૩૪૬ . हिन्दी :- तब उस सार्थपतिने कहा कि, हे देवी! आप भीमराजा की पुत्री, नलराजा की पत्नी धर्मवती और सती होने से मातासमान और बहनसमान पूजने लायक हो // 346 / / 卐 मराठी: तेव्हा वसन्त सार्थपति म्हणाला-हे देवी। त् भीमराजाची मुलगी, नलराजाची पत्नी, धर्मवती आणि सती असल्यामुळे मला आई व बहिणीप्रमाणे पूजनीय आहेस. // 346 // न P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036462
Book TitleNal Damayanti Charitrayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayshekharsuri, Sarvodaysagar
PublisherCharitraratna Foundation Charitable Trust
Publication Year
Total Pages915
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size93 MB
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